दमदमी टकसाल का बीजेपी को समर्थन: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में बीजेपी को समर्थन देने को लेकर दमदमी टकसाल मुश्किल में हैं। एक तरफ सोशल मीडिया पर दमदमी टकसाल की जमकर आलोचना हो रही है तो दूसरी तरफ कई सिख पार्टियां भी दमदमी टकसाल के प्रमुख हरनाम सिंह धुम्मन के फैसले का विरोध कर रही हैं. हालात ऐसे हो गए हैं कि हरनाम सिंह धुम्मन सिख समुदाय में अलग-थलग पड़ गए हैं.
दरअसल, महाराष्ट्र में चुनाव के दौरान दमदमी टकसाल द्वारा बीजेपी को समर्थन देने की बात सामने आई है. इस मामले में तख्त दमदमा साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने कहा कि बीजेपी को बिना शर्त समर्थन देने का फैसला सही नहीं है और ”बिना शर्त समर्थन नहीं देना चाहिए था.”
ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने कहा कि घोषणा के बावजूद बंदी सिखों को रिहा नहीं किया गया. अब चंडीगढ़ के मामले में पंजाब का हक छीना जा रहा है। इससे पहले शिरोमणि अकाली दल ने भी बीजेपी को बिना शर्त समर्थन दिया था, लेकिन पिछले 11 साल से केंद्र में बीजेपी सरकार होने के बावजूद सिखों और पंजाब के मुद्दे हल नहीं हुए हैं.
इसी तरह, शिरोमणि अकाली दल की दिल्ली इकाई के अध्यक्ष परमजीत सिंह सरना ने कहा कि दमदमी टकसाल से देश की भावनाएं जुड़ी हुई हैं और दमदमी टकसाल के वर्तमान प्रमुख बाबा हरनाम सिंह खालसा द्वारा महाराष्ट्र चुनाव में भाजपा को एकतरफा समर्थन दिया गया है. यह सिख समुदाय के लिए अपमान है। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार ने अब तक सिखों के किसी भी मुद्दे का समाधान नहीं किया है।
उन्होंने कहा कि तख्त हजूर साहिब बोर्ड में सरकारी सदस्यों की संख्या बढ़ाकर महाराष्ट्र सरकार ने सिखों का अधिकार छीन लिया है. ऐसे में सिख यूथ फेडरेशन भिंडरावाला संगठन के पूर्व अध्यक्ष बलवंत सिंह गोपाला और अन्य संगठनों ने भी दमामी टकसाल के प्रमुख के फैसले का विरोध किया. सोशल मीडिया पर दमदमी टकसाल के मौजूदा मुखिया बाबा हरनाम सिंह धुम्मन की भी आलोचना हो रही है.