फिल्म ‘Ctrl’ का मुख्य सवाल यही है कि हम टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर रहे हैं या टेक्नोलॉजी हमें इस्तेमाल कर रही है? इस सवाल का जवाब तलाशने के लिए निर्देशक ने एक सस्पेंस थ्रिलर कहानी बुनी है। छह साल पहले गूगल का एक इंटरनल वीडियो लीक हुआ था, जिसमें बताया गया था कि कैसे डेटा के जरिए लोगों को इंफ्लुएंस किया जा सकता है। फिल्म की कहानी भी इसी विषय के इर्द-गिर्द घूमती है।
फिल्म की कहानी
‘Ctrl’ की कहानी सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर नेल्ला (अनन्या पांडे) और उनके बॉयफ्रेंड जो मस्करेनस (विहान समत) के इर्द-गिर्द घूमती है।
- दोनों की मुलाकात कॉलेज में होती है और वे अपना सोशल मीडिया चैनल ‘एंजॉय’ शुरू करते हैं।
- धीरे-धीरे उनके लाखों फॉलोअर्स बन जाते हैं, ब्रांड्स उन्हें अप्रोच करने लगते हैं, और उनकी लाइफ परफेक्ट लगती है।
- लेकिन कहानी में बड़ा ट्विस्ट तब आता है जब नेल्ला, जो को किसी और लड़की को किस करते हुए पकड़ लेती है।
- इसके बाद उनकी जिंदगी में ऐसा तूफान आता है कि सब कुछ बदल जाता है। टेक्नोलॉजी के जरिए उन्हें कंट्रोल किया जाने लगता है और हालात हाथ से निकलते जाते हैं।
फ्रेश और प्रासंगिक है फिल्म का टॉपिक
‘Ctrl’ की कहानी काफी फ्रेश और मॉर्डन है।
- आज के दौर में जब लोग बिना सोचे-समझे एप इंस्टॉल कर लेते हैं, बिना टर्म्स और कंडीशन्स पढ़े सहमति दे देते हैं, तब यह फिल्म टेक्नोलॉजी के अंधे इस्तेमाल के खतरों को उजागर करती है।
- फिल्म का प्रस्तुतिकरण भी दिलचस्प है, जिसमें सोशल मीडिया और टेक्नोलॉजी की दुनिया को रियलिस्टिक अंदाज में दिखाया गया है।
अनन्या पांडे की दमदार परफॉर्मेंस
पूरी फिल्म अनन्या पांडे के कंधों पर टिकी हुई है। उन्होंने अपने किरदार में शानदार परफॉर्मेंस दी है और नेल्ला के इमोशनल और स्ट्रगल वाले सीन्स को बखूबी निभाया है।
- विहान समत ने जो मस्करेनस के किरदार में अच्छा काम किया है।
- दोनों के बीच की केमिस्ट्री कहानी में एक रियल टच लाती है।
क्लाइमैक्स: डिप्रेसिंग लेकिन जरूरी
फिल्म का क्लाइमैक्स भले ही डिप्रेसिंग लगे, लेकिन यह काफी प्रासंगिक और वास्तविक है।
- फिल्म दिखाती है कि एक समय ऐसा आएगा जब टेक्नोलॉजी इतनी हावी हो जाएगी कि इंसान चाहकर भी उससे दूर नहीं रह पाएगा।
कमजोर कड़ियां: कहां मात खा गई फिल्म?
हालांकि फिल्म की कहानी और टॉपिक बेहतरीन है, लेकिन इसके बावजूद कुछ कमजोरियां नजर आती हैं:
- फिल्म का धीमा पेस: कहीं-कहीं फिल्म थोड़ी बोरिंग लगती है, खासकर बीच के कुछ हिस्सों में।
- स्क्रीन पर टेक्स्ट पढ़ना: फिल्म में कई ऐसे सीन्स हैं जहां दर्शकों को स्क्रीन पर लिखे शब्दों को ध्यान से पढ़ना पड़ता है, जिससे इमर्शन टूट जाता है।
देखें या नहीं?
‘Ctrl’ उन फिल्मों में से है जो टेक्नोलॉजी के खतरे से आगाह करती है। अगर आप सोचते हैं कि सोशल मीडिया और डेटा का गलत इस्तेमाल आपकी जिंदगी को कितना प्रभावित कर सकता है, तो यह फिल्म एक बार जरूर देखनी चाहिए।
- अनन्या पांडे की शानदार एक्टिंग और दमदार मैसेज के लिए फिल्म देखने लायक है।
- हालांकि कहानी कहीं-कहीं धीमी जरूर है, लेकिन इसका क्लाइमैक्स आपको सोचने पर मजबूर कर देगा।