कानपुर, 15 दिसंबर (हि.स.)। अभिनव पर्यावरणीय समाधानों के लिए एक प्रमुख वैश्विक मंच गो ग्रीन शिखर सम्मेलन की अध्यक्षता करने का अवसर कानपुर के सीएसए कुलपति डॉ. आनंद कुमार सिंह को मिला। यह सम्मेलन 11वां था जो 13 और 14 दिसंबर को इंडोनेशिया में आयोजित किया गया। कुलपति डॉ. आनंद कुमार सिंह ने इस अंतरराष्ट्रीय पर्यावरणीय संगोष्ठी की अध्यक्षता करने के साथ—साथ सम्मेलन में की नोट स्पीकर के रुप में भी अपनी मुख्य भूमिका का निर्वहन किया है।
चंद्रशेखर आज़ाद कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय (सीएसए) कानपुर के कुलपति डॉ. आनंद कुमार सिंह की अध्यक्षता में इंडोनेशिया में आयोजित इस कार्यक्रम में IFERP लाइफ़ साइंस और अकादमिक साझेदार कृषि विश्वविद्यालय कानपुर, SEGi यूनिवर्सिटी एवं कॉलेज मलेशिया, साउथविले इंटरनेशनल स्कूल एंड कॉलेज फ़िलिपींस एवं यूनिवर्सिटी ऑफ़ हॉर्टिकल्चर साइंसेज़ भारत की सहभागिता रही। इस शिखर सम्मेलन का उद्देश्य साझा विशेषज्ञता और सामूहिक कार्रवाई के माध्यम से भविष्य की महत्वपूर्ण पर्यावरणीय चुनौतियों का समाधान करने के लिए शिक्षाविदों, नीति निर्माताओं, कार्यकर्ताओं और व्यवसायों को तैयार करना था। पिछले कुछ वर्षों में गो ग्रीन शिखर सम्मेलन ने एक स्थायी भविष्य के लिए योग्य समाधान विकसित करने के लिए विविध दृष्टिकोणों को बढ़ावा दिया है। कुलपति ने बताया कि इस गतिशील मंच पर एक हरित कल को आकार देने में हमारे साथ जुड़े सैकड़ों प्रतिभागी अपना अपना बहुमूल्य योगदान लगातार दे रहे हैं जो भविष्य निर्माण के लिए कारगर साबित होगा।
सीएसए के कृषि अभियंत्रण संकाय के अधिष्ठाता डॉ एन के शर्मा ने बताया कि कुलपति की वैश्विक स्तर पर पहचान एवं उनके द्वारा विश्वविद्यालय को वैश्विक स्तर पर पहुंचाने की सोच के कारण ही कृषि विश्वविद्यालय कानपुर इस अंतरराष्ट्रीय आयोजन में अपनी प्रमुख भूमिका निभा सका है। डॉ शर्मा ने बताया कि चंद्रशेखर आज़ाद कृषि विश्वविद्यालय कानपुर एवं इटावा परिसर पिछले विगत 6 माह में तीन अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठियों जैसे साउथ अफ़्रीका संगोष्ठी कृषि विश्वविद्यालय कानपुर, अंतरराष्ट्रीय विज्ञान कांग्रेस एवं बाली इंडोनेशिया के आयोजन में अपनी प्रमुख भूमिका निभा चुका है।
विश्वविद्यालय एवं इटावा परिसर से अलग अलग विभाग के अधिक से अधिक संख्या में प्रतिभागियों ने यहां पर अपने शोध पत्रों का प्रस्तुतीकरण भी किया, जिसमें प्रमुख रुप से डॉ सीमा सोनकर हैं जो आयोजन समिति की सदस्य भी हैं। इसके अलावा प्रज्ञा मिश्रा, बादल यादव, डॉ अरुण कुमार,डॉ आशुतोष लोहवंशी, डॉ काशफ ख़ान, डॉ ख़ुशबू गुप्ता, हर्षिता भी शामिल हैं।
डॉ शर्मा ने अपने विशेष शोध प्रस्तुतिकरण के माध्यम से ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में 57 प्रतिशत कार्बन डाई ऑक्साइड का उत्सर्जन कोयला एवं प्राकृतिक गैसों के उपयोग से बताते हुए जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों के समाधान में वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों को अपनाने के लिए उपलब्ध तकनीकों को और भी विकसित करने पर ज़ोर देने की बात रखी। उनका प्रस्तुतीकरण प्रमुख रूप से सौर ऊर्जा से सम्बंधित तकनीकी विकसित करने एवं जलवायु परिवर्तन में वैकल्पिक ऊर्जा के प्रयोग करने पर ही केंद्रित रहा।
इस ग्यारहवें गो ग्रीन सम्मेलन में दस देशों से अधिक देशों के लगभग दो सौ से ज़्यादा वैज्ञानिकों ने प्रतिभाग किया था। सम्मेलन में डॉ. वोंग लिग शिंग मलेशिया, डॉ. रिनीरियो ई एकिगोनेरो फ़िलीफ़ाइन्स एवं अन्य विदेशी वैज्ञानिक मुख्य वक्ता के रुप में रहे।
इटावा इंजीनियरिंग कॉलेज की गेस्ट फैकल्टी डॉ श्वेता दुबे ने मिस फ़ुदण्डन, मिस्टर चेन मिंगुरी के साथ इस सम्मेलन में मॉडरेटर की भूमिका का निर्वहन किया। डॉ. श्वेता के उत्कृष्ट मॉडरेशन के लिए आयोजकों ने उनको बधाई भी प्रेषित की है।