कच्चे तेल की कीमतें लगातार बढ़ती जा रही हैं, और अब ये 3 महीनों के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई हैं। मुख्य कारण चीन में मांग बढ़ने की उम्मीद है। साथ ही, अमेरिकी इन्वेंट्री में गिरावट और मिडिल ईस्ट संकट के चलते भी कीमतों में तेजी देखी जा रही है।
ब्रेंट और WTI के दामों में उछाल
- ब्रेंट क्रूड: कीमत 76.55 डॉलर प्रति बैरल के पार पहुंच गई है।
- WTI क्रूड: यह 73 डॉलर प्रति बैरल के पार निकल चुका है।
- MCX पर: घरेलू बाजार में कच्चा तेल 6290 रुपये के स्तर पर कारोबार कर रहा है।
यह लगातार 5वां दिन है जब क्रूड की कीमतों में बढ़ोतरी देखी गई है।
कीमतों में तेजी के कारण
- चीन से बढ़ती मांग की उम्मीद: चीन की अर्थव्यवस्था में सुधार के संकेत मिल रहे हैं, जिससे ऊर्जा की मांग बढ़ने की संभावना है।
- अमेरिकी इन्वेंट्री में गिरावट: अमेरिका में तेल का भंडारण घटने से भी कीमतें ऊपर जा रही हैं।
- मिडिल ईस्ट संकट: राजनीतिक और भौगोलिक तनावों पर बाजार की नजर है।
- US फेड की नीतियां: ब्याज दरों और आर्थिक फैसलों का भी ऊर्जा बाजार पर असर पड़ रहा है।
सोने और नैचुरल गैस में भी उछाल
सोने की कीमतों में तेजी
सोने की मांग बढ़ने से कीमतों में उछाल देखा गया है।
- COMEX गोल्ड का भाव 2670 डॉलर प्रति औंस तक पहुंच गया है।
- यह पिछले 2 हफ्तों में सबसे ऊंचा स्तर है।
नैचुरल गैस के दामों में उछाल
- यूरोप में नैचुरल गैस की कीमतें €50 के पार निकल गई हैं।
- कारण:
- रूस ने यूक्रेन के जरिए सप्लाई रोक दी है।
- नॉर्वे ने कंप्रेसर खराबी के कारण उत्पादन अस्थायी रूप से रोक दिया है।
- इन्वेंटरी में 2021 के बाद सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की गई है।
विशेषज्ञों की राय
नरेंद्र तनेजा, ऊर्जा विशेषज्ञ
- चीन की बढ़ती मांग क्रूड के लिए एक बड़ा ट्रिगर है।
- रूस से भारत सबसे अधिक क्रूड इंपोर्ट करता है, जिससे भारत पर भी असर हो सकता है।
- अगर जियोपॉलिटिकल तनाव नहीं बढ़ता, तो अगले 5-6 महीनों तक क्रूड की कीमतें 70-73 डॉलर प्रति बैरल के बीच रह सकती हैं।
डॉ. धर्मेश भाटिया, एमिरेट्स NBD
- रुपये में कमजोरी जारी है।
- अगर क्रूड और सोने की कीमतों में और बढ़त होती है, तो रुपये में और गिरावट आ सकती है।
- चीन की अर्थव्यवस्था में सुधार क्रूड की कीमतों को 6600-6700 रुपये (MCX) तक ले जा सकता है।
- अंतरराष्ट्रीय बाजार में WTI क्रूड 77 डॉलर तक पहुंच सकता है।
भविष्य में क्या उम्मीद करें?
क्रूड की कीमतों में तेजी जारी रहने की संभावना है। अगर चीन की मांग में और वृद्धि होती है और जियोपॉलिटिकल संकट नहीं होता, तो बाजार स्थिर रह सकता है। लेकिन इन्वेंटरी की स्थिति और वैश्विक आर्थिक फैसले प्रमुख भूमिका निभाएंगे।