मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (CPM) ने नरेंद्र मोदी सरकार को नव-फासीवादी करार देने से इनकार किया है, हालांकि उसने स्वीकार किया है कि सरकार में नव-फासीवाद के कुछ लक्षण दिखाई देते हैं। यह टिप्पणी पार्टी द्वारा अपनी प्रदेश इकाइयों को भेजे गए राजनीतिक प्रस्ताव के मसौदे में की गई है, जो आगामी सम्मेलन में चर्चा के लिए तैयार किया गया है।
CPM के बयान से CPI और कांग्रेस ने बनाई दूरी
CPM के इस रुख से भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) और कांग्रेस ने असहमति जताई है। CPI ने कड़ी नाराजगी जताते हुए कहा कि CPM को अपना स्टैंड सुधारना पड़ेगा।
- CPI का रुख: पार्टी का मानना है कि भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पूरी तरह से फासीवादी है।
- भाकपा (माले) का भी कहना है कि भारत में एक तरह का फासीवाद स्थापित हो चुका है।
- कांग्रेस ने भी कहा कि मोदी सरकार फासीवादी शासन की ओर बढ़ रही है।
CPM: “अभी मोदी सरकार को नव-फासीवादी नहीं कह सकते”
CPM ने अपने नोट में स्पष्ट किया—
“हम यह नहीं कह रहे हैं कि मोदी सरकार फासीवादी या नव-फासीवादी है। न ही हम भारतीय शासन प्रणाली को नव-फासीवादी व्यवस्था मानते हैं। लेकिन अगर भाजपा-आरएसएस की ताकतों को रोका नहीं गया, तो देश हिंदुत्व-कॉरपोरेट अधिनायकवाद की ओर बढ़ सकता है।”
“हिंदुत्व-कॉरपोरेट गठजोड़ से लोकतंत्र खतरे में”
CPM के राजनीतिक प्रस्ताव के मसौदे पर अप्रैल में तमिलनाडु के मदुरै में पार्टी की बैठक में चर्चा की जाएगी। इसे 17-19 जनवरी को कोलकाता में केंद्रीय समिति की बैठक में अनुमोदित किया गया था।
मसौदा प्रस्ताव में कहा गया—
“मोदी सरकार द्वारा लागू किया जा रहा हिंदुत्व-कॉरपोरेट शासन और धर्मनिरपेक्ष-लोकतांत्रिक ताकतों के बीच संघर्ष बढ़ रहा है। विपक्ष और लोकतंत्र को दबाने के लिए जो सत्तावादी अभियान चलाया जा रहा है, उसमें नव-फासीवाद के कुछ तत्व जरूर मौजूद हैं।”
CPI और कांग्रेस का आरोप: “भाजपा की नीतियों से मेल खाती है CPM की भाषा”
CPI और कांग्रेस ने CPM के इस रुख की आलोचना करते हुए कहा कि यह भाजपा की नीतियों के प्रति नरमी दिखाने जैसा है।
- CPI का बयान: “फासीवाद का मतलब है धर्म और आस्था का इस्तेमाल राजनीतिक फायदे के लिए करना। भाजपा यही कर रही है।”
- कांग्रेस नेता वीडी सतीशन ने आरोप लगाया: “CPM और भाजपा के बीच लंबे समय से गुप्त संबंध रहे हैं।”
निष्कर्ष: वाम दलों में बढ़ी दूरियां
CPM का यह रुख वाम दलों के भीतर मतभेदों को उजागर करता है। जहां CPI और भाकपा (माले) मोदी सरकार को फासीवादी करार दे रहे हैं, वहीं CPM अभी ऐसा मानने से इनकार कर रही है।
अब देखने वाली बात होगी कि अप्रैल में होने वाली बैठक में पार्टी इस मुद्दे पर अपनी अंतिम रणनीति क्या तय करती है।