उत्तर प्रदेश के आगरा जिले के गांव टरकपुरा की 13 वर्षीय नाबालिग लड़की राखी को महाकुंभ 2025 के दौरान जूना अखाड़ा में दीक्षा देकर साध्वी बनाया गया। इस घटना को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। जूना अखाड़ा के महंत कौशल गिरी पर आरोप है कि उन्होंने इस नाबालिग लड़की को साध्वी के रूप में स्वीकार किया और दान के रूप में प्राप्त किया।
इस गंभीर प्रकरण के बाद जूना अखाड़ा ने सख्त कदम उठाते हुए महंत कौशल गिरी को सात साल के लिए अखाड़े से निष्कासित कर दिया है।
महंत कौशल गिरी का जीवन परिचय
- उम्र: 38 वर्ष
- जन्म स्थान: लटूरी गांव, आगरा
- पिता का नाम: बंगाली रघुवंशी
- मां का नाम: आशा देवी (अब दिवंगत)
कौशल गिरी बचपन से ही धार्मिक गतिविधियों में गहरी रुचि रखते थे। महज 6 साल की उम्र से ही वे गांव के मंदिर में अपने गुरु नरसिंह गिरी के साथ पूजा-अर्चना में भाग लेने लगे। कुछ वर्षों बाद उन्होंने घर-परिवार और गांव को छोड़कर साधु का जीवन अपना लिया।
परिवार से दूरी बनाए रखी
- कौशल गिरी ने अपने परिवार से सभी संबंध तोड़ लिए।
- पिता की मृत्यु के बाद भी वे घर नहीं लौटे।
- उनके भाई बंटी ने बताया कि कौशल गिरी ने परिवार के साथ कोई संवाद नहीं रखा।
गांव के मंदिर में रहने वाले महंत रामगिरी बाबा ने बताया कि कौशल गिरी आखिरी बार जून 2024 में मंदिर आए थे। उन्होंने पूरी रात मंदिर में रुककर पूजा-अर्चना की। पिछले 10 सालों में वे बहुत कम बार गांव लौटे और गांव से उनका लगाव खत्म हो गया था।
गांव के लोग और कौशल गिरी का जुड़ाव
- गांव के रिश्तेदारों और लोगों के अनुसार, कौशल गिरी का स्वभाव बेहद अंतर्मुखी था।
- उनके चाचा रमेश सिंह ने कहा कि वे कभी-कभी मंदिर आते थे, लेकिन किसी से बातचीत किए बिना चले जाते थे।
- उनके बारे में एक घटना प्रसिद्ध है, जब उन्होंने लगातार सात दिनों तक खड़े होकर पूजा-अर्चना की थी।
नाबालिग लड़की को साध्वी बनाने का विवाद
महाकुंभ के दौरान नाबालिग लड़की को साध्वी बनाने की घटना ने अखाड़ा परिषद और समाज में सवाल खड़े कर दिए।
- जूना अखाड़ा ने तुरंत कार्रवाई करते हुए महंत कौशल गिरी को सात साल के लिए निष्कासित कर दिया।
- यह निर्णय अखाड़ा की आचार संहिता और धर्मशास्त्रों के खिलाफ किए गए कार्य को ध्यान में रखते हुए लिया गया।