भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के निधन के बाद पूरे देश और दुनिया से श्रद्धांजलि दी जा रही है। लेकिन इसी बीच, मशहूर कवि कुमार विश्वास का एक पुराना वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है, जिससे विवाद खड़ा हो गया है।
वायरल वीडियो: क्या कहा था कुमार विश्वास ने?
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर जो वीडियो वायरल हो रहा है, वह वर्ष 2012 का है। यह एक कवि सम्मेलन का हिस्सा था, जिसमें कुमार विश्वास ने एक कविता पढ़ते हुए मजाकिया लहजे में कहा:
“अभी जसपाल भट्टी जी को जब दिवंगत होना पड़ा एक दुर्घटना में, तब मुझे भगवान की टाइमिंग पर बड़ी गुस्सा आई। जब सरदार ही उठाना था तो हंसाने वाला क्यों उठाया?”
यह वीडियो अब एक बार फिर चर्चा का केंद्र बन गया है। कई यूजर्स इसे शेयर करते हुए आरोप लगा रहे हैं कि कुमार विश्वास ने उस समय डॉ. मनमोहन सिंह के लिए “मौत मांगने” जैसा बयान दिया था।
सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएं
- आलोचना और आरोप:
कई एक्स हैंडल्स ने इस क्लिप को साझा करते हुए लिखा कि कुमार विश्वास ने पूर्व पीएम के लिए मौत की कामना की थी।- एक यूजर ने लिखा, “कुमार विश्वास आज धरती पर सबसे खुश इंसान होंगे। तब उनके लिए मौत मांग रहे थे, अब श्रद्धांजलि दे रहे हैं।”
- दूसरे ने इसे “नफरत का प्रतीक” करार दिया।
- समर्थन में तर्क:
कुमार विश्वास के समर्थकों ने इसे व्यंग्य और कविता के संदर्भ में समझने की बात कही। उन्होंने इस बयान को केवल हास्य के तौर पर लिया जाने वाला भाषण बताया।
कुमार विश्वास और अन्य विवाद
डॉ. मनमोहन सिंह को लेकर वीडियो के अलावा, एक अन्य क्लिप भी चर्चा में है। इसमें एक कार्यक्रम के दौरान एक कलाकार ने मनमोहन सिंह का रूप धारण किया था, और उनके व्यक्तित्व और बोलचाल का मजाक उड़ाया गया था। इस कार्यक्रम को कुमार विश्वास होस्ट कर रहे थे।
विवादित वीडियो के बीच, कुमार विश्वास एक अन्य मामले को लेकर भी आलोचना झेल रहे हैं। एक कवि सम्मेलन में उन्होंने कहा था:
“अपने बच्चों को रामायण-महाभारत जरूर पढ़ाएं। कहीं ऐसा न हो कि आपके घर का नाम रामायण हो और आपकी श्रीलक्ष्मी को कोई और उठा ले जाए।”
इस बयान को बॉलीवुड अभिनेत्री सोनाक्षी सिन्हा से जोड़कर देखा गया, जिससे उनकी काफी आलोचना हुई।
क्या कहना है आलोचकों का?
कुमार विश्वास के आलोचक इस वायरल वीडियो को “असंवेदनशील” और “पूर्व पीएम का अपमान” करार दे रहे हैं। उनका कहना है कि डॉ. मनमोहन सिंह जैसे सम्मानित व्यक्ति के लिए ऐसी टिप्पणियां न केवल अनुचित हैं, बल्कि कवि की नैतिकता पर भी सवाल खड़ा करती हैं।