हफ्ते में 90 घंटे काम करने की सलाह पर छिड़ा विवाद: आनंद महिंद्रा बोले- “क्वालिटी मायने रखती है, न कि क्वांटिटी”

Anand Mahindra And Lnt Sn Subram (1)

लार्सन एंड टुब्रो (L&T) के चेयरमैन एसएन सुब्रह्मण्यन के “हफ्ते में 90 घंटे काम करने” और “पत्नी को कितनी देर तक निहार सकते हैं” जैसे बयान पर सोशल मीडिया और सेलिब्रिटीज के बीच तीखी प्रतिक्रिया हो रही है। अब महिंद्रा ग्रुप के चेयरमैन आनंद महिंद्रा ने इस पर अपनी राय रखते हुए कहा कि वह काम की क्वालिटी में विश्वास करते हैं, न कि क्वांटिटी में।

महिंद्रा का फोकस: गुणवत्ता और बैलेंस

दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में आनंद महिंद्रा ने कहा,
“मैं नारायण मूर्ति और अन्य लोगों का सम्मान करता हूं, लेकिन यह बहस गलत दिशा में जा रही है। सवाल यह नहीं होना चाहिए कि आप 40 घंटे, 70 घंटे, या 90 घंटे काम कर रहे हैं। यह देखना चाहिए कि आप इन घंटों में कितना प्रभावशाली काम कर रहे हैं। आप 10 घंटे में दुनिया बदल सकते हैं।”

महिंद्रा ने यह भी कहा कि कंपनियों को ऐसे लीडर्स और कर्मचारियों की जरूरत होती है, जो सही निर्णय लेने की क्षमता रखते हों। यह क्षमता केवल काम के घंटों से नहीं, बल्कि समग्र सोच और व्यापक दृष्टिकोण से विकसित होती है।

“कला और संस्कृति से बढ़ता है निर्णय लेने का कौशल”

महिंद्रा ने बताया कि वह लिबरल आर्ट्स के समर्थक हैं। उन्होंने कहा,
“भले ही आप इंजीनियर या एमबीए हों, आपको कला और संस्कृति का अध्ययन करना चाहिए। यह आपको व्यापक सोच और बेहतर निर्णय लेने की क्षमता प्रदान करता है।”
उन्होंने जोर दिया कि यदि लोग अपने परिवार और दोस्तों के साथ समय नहीं बिताते या किताबें नहीं पढ़ते, तो उनके फैसले सही इनपुट्स पर आधारित नहीं हो सकते।

ऑटो उद्योग का उदाहरण

महिंद्रा ने अपने ऑटो व्यवसाय का उदाहरण देते हुए कहा,
“अगर हमें एक ऐसी कार बनानी है, जो परिवार के लिए हो, तो हमें उनकी जरूरतों को समझना होगा। यदि हम हर समय केवल ऑफिस में रहेंगे, तो यह समझ नहीं पाएंगे कि ग्राहक क्या चाहते हैं।”

सुब्रह्मण्यन का विवादित बयान

L&T चेयरमैन एसएन सुब्रह्मण्यन ने अपने बयान में कहा था कि कर्मचारियों को हफ्ते में 90 घंटे काम करना चाहिए और रविवार को भी काम करने से नहीं हिचकना चाहिए। उन्होंने कहा,
“आखिर आप अपनी पत्नी को कितनी देर तक निहार सकते हैं? घर पर समय बिताने के बजाय ऑफिस में ज्यादा समय दें।”
उनकी टिप्पणी के बाद सोशल मीडिया पर भारी विवाद हुआ।

यह बयान इन्फोसिस के सह-संस्थापक नारायण मूर्ति के उस सुझाव के बाद आया, जिसमें उन्होंने 70 घंटे के कार्य सप्ताह की वकालत की थी। मूर्ति के बयान के बाद कार्य-जीवन संतुलन पर बहस शुरू हुई थी, जो सुब्रह्मण्यन के बयान से और बढ़ गई।

सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रियाएं

सुब्रह्मण्यन के इस बयान की सोशल मीडिया पर जमकर आलोचना हो रही है। कई यूजर्स ने इसे “वर्क-लाइफ बैलेंस” को खत्म करने वाला बताया, तो कुछ ने इसे “नौकरीपेशा कर्मचारियों के प्रति असंवेदनशील” करार दिया।

महिंद्रा का संदेश: सही सोच से लें फैसले

आनंद महिंद्रा ने इस बहस को संतुलित दृष्टिकोण देते हुए काम के घंटों की बजाय काम के आउटपुट और गुणवत्ता पर जोर देने की वकालत की। उनका संदेश स्पष्ट है कि संतुलित जीवनशैली और व्यापक सोच से ही सही फैसले लिए जा सकते हैं।