बिहार में पुलिस पर हमलों का सिलसिला जारी, भागलपुर में पथराव, SI समेत 4 पुलिसकर्मी घायल

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बिहार में पुलिस पर हमले की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं। अररिया, मुंगेर और मधुबनी के बाद अब भागलपुर में भी पुलिस को निशाना बनाया गया। शुक्रवार शाम करीब 7 बजे एक झगड़े को शांत कराने पहुंची पुलिस टीम पर कुछ उपद्रवियों ने जमकर पथराव किया। इस हमले में सब-इंस्पेक्टर (SI) सहित 4 पुलिसकर्मी घायल हो गए। घटना का एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।

बच्चों के झगड़े से शुरू हुआ विवाद, पुलिस पर बरसाए गए पत्थर

बताया जा रहा है कि विवाद कुछ बच्चों के आपसी झगड़े से शुरू हुआ। बच्चों के परिजन भी आपस में भिड़ गए और महिला-पुरुष दोनों पक्षों से विवाद करने लगे। स्थानीय लोगों ने इस घटना की सूचना अंतीचक थाना पुलिस को दी।

पुलिस टीम मौके पर पहुंची और दोनों पक्षों के बीच सुलह कराने की कोशिश कर रही थी, तभी कुछ शरारती तत्वों ने अचानक पुलिस पर गिट्टी-पत्थर फेंकना शुरू कर दिया। देखते ही देखते बच्चों के साथ-साथ बड़े भी पथराव में शामिल हो गए और पुलिस को निशाना बनाने लगे।

स्थिति बेकाबू होते देख पुलिस टीम ने जान बचाने के लिए भागना पड़ा। इस हमले में पुलिस की गाड़ी भी क्षतिग्रस्त हो गई।

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हमले में चार पुलिसकर्मी घायल, अस्पताल में भर्ती

इस हमले में एक सब-इंस्पेक्टर (SI), तीन सिपाही और एक चौकीदार गंभीर रूप से घायल हो गए। सभी को फौरन कहलगांव अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उनका इलाज जारी है।

इस मामले को लेकर थानाध्यक्ष आशुतोष कुमार ने बताया कि प्रतिनियुक्ति दंडाधिकारी संजीव चौधरी के बयान पर 24 नामजद और 15 अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है।

पुलिस ने इस घटना के बाद इलाके में छापेमारी शुरू कर दी है और आरोपियों की पहचान कर रही है। जानकारी के मुताबिक, कुछ हमलावर नशे में थे, पुलिस इस एंगल से भी जांच कर रही है।

बिहार में लगातार पुलिस पर हमले, कानून-व्यवस्था पर उठे सवाल

भागलपुर से पहले अररिया, मुंगेर और मधुबनी में भी पुलिस पर जानलेवा हमले हुए।

  • अररिया में हमले के दौरान एक दारोगा की मौत हो गई।
  • मुंगेर में एक सब-इंस्पेक्टर (SI) को मार डाला गया।
  • मधुबनी में पुलिसकर्मियों को किसी तरह भागकर अपनी जान बचानी पड़ी।

बिहार में लगातार हो रहे इन हमलों को लेकर राजनीतिक बहस भी तेज हो गई है। विपक्षी दल राज्य सरकार की कानून-व्यवस्था पर सवाल उठा रहे हैं और इसे ‘सुशासन’ सरकार की विफलता करार दे रहे हैं।