अयोध्या, 11 मार्च (हि.स.)। “प्रभु श्रीराम मंदिर के आर्थिक निहितार्थ विषयक’’ एक दिवसीय राष्ट्रीय गोष्ठी का आयोजन डाॅ राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र एवं ग्रामीण विकास विभाग के सेमिनार हाॅल में किया गया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि प्रमुख अर्थशास्त्री एवं नीति निर्माता, नई दिल्ली के प्रो. प्रेम एस. वशिष्ठ ने कहा कि अयोध्या में प्रभु श्रीराम के मंदिर निर्माण से अर्थव्यवस्था के प्राथमिक, द्वितीयक एवं तृतीयक तीनों क्षेत्रों का गुणात्मक सिद्धान्त के अन्तर्गत आकस्मिक रोजगार एवं आय की संभावनाएं तीन से चार गुना बढ़ी है। सूक्ष्म, कुटीर एवं लघु आधारित व्यवसाय से जुडे़ हुए लोगो को सतत स्थानीय रोजगार प्राप्त होता रहेगा।
प्रो. वशिष्ठ ने कहा कि यदि रोजगार एवं आय की सूक्ष्मता एवं लघुता को औद्योगिक क्षेत्र में परिवर्तित कर दिया जाए तो असंगठित क्षेत्र का यह विकास आय एवं रोजगार के संगठित विकास एक आधार बनेगा। कार्यक्रम में उन्होंने बताया कि अयोध्या दर्शन के दौरान उन्हें होर्डिंग पर लिखी एक लाइन ने काफी आकर्षित किया जिसमें लिखा था ’’विरासत भी विकास भी’’। हमारी विरासत ही हमारे विकास का साधन होती है। संस्कृति के द्वारा आज अयोध्या का विकास इतनी तेजी से हो रहा है क्योंकि लोग यहां के विकास से आकर्षित होकर यहां पर निवेश कर रहे जिससे कई तरह के रोजगार को बढ़ावा मिल रहा है और हमारी अर्थव्यवस्था और देश के लिए कई तरह के नए स्रोत विकसित करेगा।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रो. मृदुला मिश्रा ने बताया कि राम मंदिर निर्माण से अवध क्षेत्र के साथ पूरे प्रदेश से संरचनात्मक सुविधाओं का विकास हुआ है। कार्यक्रम में विभाग के आचार्य एवं महासचिव उत्तर प्रदेश उत्तराखण्ड अर्थिक संघ प्रो0 विनोद कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि मंदिर निर्माण से प्रभु श्रीराम के अर्थशास्त्र को समावेशी विकास से जोड़ना अति प्रासंगिक होगा। जब से प्रभु श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा हुई है तब से अयोध्या क्षेत्र में पर्यटन विकास, रोजगार के अवसर की संभावनाएं स्पष्ट रूप से परिलक्षित हो रही है। उन्होंने कहा कि मंदिर निर्माण एवं प्राण प्रतिष्ठा के साथ ही उत्तर-प्रदेश के सकल घरलू उत्पाद में जीएसटी में वृद्धि हुई है। अवध क्षेत्र के लोगों में चक्रानुक्रम में लगभग दो से तीन प्रतिशत की रोजगार अवसर में वृद्धि हुई है, जिससे लोगों का जीवन खुशहाल हुआ है।