Constitution Day 2025 : जब कभी जिंदगी में हार मानने लगें, तो बाबा साहेब की ये 5 लाइन्स जरूर पढ़ लें, मिल जाएगी हिम्मत
News India Live, Digital Desk : आज 26 नवंबर 2025 है, यानी 'संविधान दिवस' (Constitution Day)। यह वो दिन है जब हमने खुद को वो नियम-कायदे सौंपे थे, जिससे आज यह महान देश चल रहा है। और जब भी संविधान की बात होती है, तो एक चेहरा सबसे पहले आंखों के सामने आता है डॉ. भीमराव अम्बेडकर (Dr. B.R. Ambedkar) का।
आज व्हाट्सएप और सोशल मीडिया पर स्टेटस लगाने के लिए लोग बाबा साहेब की फोटो तो ढूंढते ही हैं, लेकिन उनके विचार (Quotes) उससे भी ज्यादा मायने रखते हैं। उनका जीवन सिर्फ दलितों या पिछड़ों के लिए नहीं, बल्कि हर उस इंसान के लिए प्रेरणा है जो संघर्ष करके आगे बढ़ना चाहता है।
आज इस खास मौके पर, आइए जानते हैं बाबा साहेब के कुछ ऐसे पावरफुल विचार जो सीधे दिल पर दस्तक देते हैं।
1. शिक्षा: सबसे बड़ा हथियार
बाबा साहेब का सबसे मशहूर नारा जो बच्चे-बच्चे की जुबान पर है:
"शिक्षा वो शेरनी का दूध है जो इसे पिएगा, वो दहाड़ेगा।"
(Education is the milk of a tigress, he who drinks it will roar.)
सीख: इसका मतलब साफ है—अगर आपके पास ज्ञान है, तो आपको दुनिया के सामने झुकने की ज़रूरत नहीं। आप अपनी जगह खुद बना लेंगे।
2. अपनी रोशनी खुद बनो
अक्सर हम दूसरों के सहारे बैठे रहते हैं। लेकिन अम्बेडकर साहब कहते थे:
"जीवन लंबा होने की बजाय महान होना चाहिए।"
हमें यह सोचने की ज़रूरत है कि हम दुनिया में क्या छोड़कर जा रहे हैं। लंबी ज़िंदगी जीने से बेहतर है कि हम कुछ ऐसा काम कर जाएं कि दुनिया याद रखे।
3. देश सबसे पहले
आज के दौर में जब लोग धर्म और जाति में बंटे हैं, बाबा साहेब का यह विचार आंखें खोलने वाला है:
"मैं सबसे पहले और अंत में एक भारतीय हूँ।"
यानी हमारी पहचान किसी धर्म या समुदाय से पहले 'हिन्दुस्तानी' होनी चाहिए।
4. गुलाम बनकर मत रहो
जो लोग किस्मत के भरोसे बैठे रहते हैं, उनके लिए उनका यह संदेश बहुत गहरा है:
"गुलाम बनकर रहोगे, तो कुत्ता समझकर लात मारेगी दुनिया और बादशाह बनकर रहोगे तो शेर समझकर सलाम ठोकेंगे।"
यह लाइन आपको यह अहसास दिलाती है कि स्वाभिमान (Self-Respect) से बढ़कर कुछ नहीं है। अपने हक़ के लिए आवाज उठाना सीखना होगा।
5. संविधान: सिर्फ वकीलों का काम नहीं
जिस किताब (संविधान) की बदौलत आज हम आज़ाद हवा में सांस ले रहे हैं, उसके बारे में उन्होंने कहा था:
"संविधान केवल वकीलों का दस्तावेज़ नहीं है, यह जीवन जीने का एक माध्यम है।"
इसका मतलब है कि समानता और भाईचारा सिर्फ कागजों में नहीं, हमारे व्यवहार में होना चाहिए।
आज का संकल्प
संविधान दिवस पर सिर्फ छुट्टी मनाने या मैसेज फॉरवर्ड करने से कुछ नहीं होगा। बाबा साहेब को सच्ची श्रद्धांजलि तब मिलेगी जब हम उनके बताए एक भी विचार को अपनी ज़िंदगी में उतार लें।
अगर आप छात्र हैं, तो 'पढ़ाई' को हथियार बनाएं। अगर नौकरी करते हैं, तो 'समानता' को बढ़ावा दें। जय भीम, जय भारत!
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