केंद्र सरकार द्वारा गठित उच्चस्तरीय समिति ने खालिस्तानी अलगाववादी गुरुपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की साजिश के आरोप में एक पूर्व भारतीय खुफिया अधिकारी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की सिफारिश की है। इस अधिकारी को अमेरिकी जांच एजेंसी एफबीआई की रिपोर्ट में ‘CC-1’ के रूप में पहचाना गया था, जिसे बाद में विकास यादव के रूप में चिन्हित किया गया।
पृष्ठभूमि और अमेरिकी आरोप
2023 में अमेरिकी न्याय विभाग ने खुलासा किया कि विकास यादव और निखिल गुप्ता नामक एक अन्य भारतीय नागरिक ने मिलकर पन्नू की हत्या के लिए एक भाड़े के हत्यारे को $100,000 का भुगतान करने की योजना बनाई थी। एफबीआई के मुताबिक, हत्यारे ने अग्रिम भुगतान के तौर पर $15,000 प्राप्त किए, लेकिन वह अमेरिकी एजेंसी का मुखबिर निकला।
भारत और अमेरिका के बीच संयुक्त जांच
भारत सरकार ने नवंबर 2023 में इस साजिश की जांच के लिए एक उच्चस्तरीय समिति का गठन किया। अमेरिकी अधिकारियों के साथ सहयोग करते हुए समिति ने साजिश की तह तक जाने के लिए विभिन्न यात्राएं और पूछताछ की। अक्टूबर 2024 में भारतीय टीम ने वॉशिंगटन डीसी का दौरा किया, जहां दोनों पक्षों ने मामले पर चर्चा की और साक्ष्य साझा किए।
जांच समिति की सिफारिशें
समिति ने संबंधित व्यक्ति के आपराधिक इतिहास और संपर्कों की गहन जांच के बाद कानूनी कार्रवाई की सिफारिश की है। इसके साथ ही समिति ने प्रणालीगत सुधारों और कार्यात्मक प्रक्रियाओं को मजबूत बनाने की सलाह दी है, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं से निपटने की तैयारी बेहतर हो सके।
गृह मंत्रालय का बयान
गृह मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि संबंधित व्यक्ति अब सरकारी कर्मचारी नहीं है। मंत्रालय ने कहा कि भारत और अमेरिका दोनों के सुरक्षा हितों को कमजोर करने वाले आपराधिक समूहों और आतंकवादी संगठनों के खिलाफ समन्वित कार्रवाई की जाएगी।