बांग्लादेश में राजनीतिक उथल-पुथल: कट्टरपंथी सरकार के बाद सेना पर कब्जे की साजिश

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बांग्लादेश में पिछले साल 5 अगस्त को हुए तख्तापलट के बाद देश में अस्थिरता का माहौल बना हुआ है। तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना को सत्ता से बेदखल कर हिंसा और खूनी संघर्ष के बीच भारत में शरण लेनी पड़ी थी। अब, कट्टरपंथी विचारधारा वाली सरकार मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में देश की सत्ता पर काबिज है। ताजा रिपोर्टों के मुताबिक, कट्टरपंथी तत्व बांग्लादेश की सेना पर नियंत्रण स्थापित करने की कोशिश में जुटे हैं।

सेना में तख्तापलट की आशंका

सूत्रों के अनुसार, बांग्लादेश सेना में लेफ्टिनेंट जनरल मोहम्मद फैज-उर-रहमान के नेतृत्व में एक तख्तापलट की योजना बनाई जा रही है।

  • फैज-उर-रहमान फिलहाल क्वार्टर मास्टर जनरल के पद पर हैं और उनकी छवि कट्टर इस्लामिक विचारधारा वाले नेता की है।
  • वह मौजूदा आर्मी चीफ जनरल वकार-उज-जमां के खिलाफ साजिश रच रहे हैं।

आईएसआई की भूमिका और सेना में दखल

पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई की इस पूरी साजिश में प्रमुख भूमिका मानी जा रही है।

  • हाल ही में, आईएसआई प्रमुख के बांग्लादेश दौरे के दौरान उनकी मुलाकात का नेतृत्व फैज-उर-रहमान ने किया।
  • रिपोर्टों के अनुसार, आईएसआई बांग्लादेश सेना में भारत समर्थक प्रभाव को खत्म करने की कोशिश कर रही है।
  • डीजीएफआई (बांग्लादेश की खुफिया एजेंसी) के कुछ अधिकारियों को भी इस साजिश में शामिल करने के प्रयास हो रहे हैं।

जनरल वकार-उज-जमां: भारत के साथ संबंधों का समर्थक

मौजूदा सेना प्रमुख जनरल वकार-उज-जमां को भारत के साथ शांति और सहयोग का समर्थक माना जाता है।

  • उन्होंने भारत-बांग्लादेश सीमा पर शांति बनाए रखने और दोनों देशों के बीच सैन्य सहयोग को बढ़ावा देने में अहम भूमिका निभाई है।
  • जब शेख हसीना को सत्ता से बेदखल किया गया, तो जनरल वकार ने ही सैन्य विमान के जरिए उन्हें सुरक्षित भारत भेजा था।

फैज-उर-रहमान की महत्वाकांक्षाएं

फैज-उर-रहमान सेना के भीतर समर्थन जुटाकर जनरल वकार-उज-जमां को हटाने की कोशिश कर रहे हैं।

  • उनका लक्ष्य बांग्लादेश सेना को पूरी तरह कट्टरपंथी ताकतों के नियंत्रण में लाना है।
  • यदि यह साजिश सफल होती है, तो यह बांग्लादेश और भारत दोनों के लिए गंभीर सुरक्षा खतरा हो सकता है।

भारत के लिए सुरक्षा चुनौतियां

पाकिस्तानी एजेंसी आईएसआई के अधिकारी हाल ही में बांग्लादेश की भारत से लगती सीमा का निरीक्षण करने पहुंचे।

  • यह दौरा भारत के पूर्वोत्तर राज्यों के लिए सुरक्षा चिंताओं को बढ़ा सकता है।
  • आईएसआई की मंशा पूर्वोत्तर भारत में अस्थिरता पैदा करने और आतंकवादी नेटवर्क मजबूत करने की हो सकती है।

शेख हसीना का भारत में शरण लेना

तख्तापलट के दौरान, शेख हसीना को हिंसक झड़पों और खतरे से बचाने में भारतीय सेना और बांग्लादेश सेना के मध्यमार्गी धड़े ने अहम भूमिका निभाई।

  • यदि शेख हसीना को समय पर बचाया नहीं जाता, तो वे या तो जेल में होतीं या फिर हिंसा का शिकार हो सकती थीं।
  • उनकी अनुपस्थिति में बांग्लादेश अब कट्टरपंथी ताकतों के नियंत्रण में है।