चुनाव नियमों में संशोधन पर कांग्रेस का आरोप: निर्वाचन आयोग पारदर्शिता से क्यों डरता है?

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कांग्रेस ने शनिवार को चुनावी नियमों में संशोधन को लेकर निर्वाचन आयोग और केंद्र सरकार पर निशाना साधा। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि चुनाव से संबंधित कुछ इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेजों को सार्वजनिक निरीक्षण से रोकने का निर्णय जल्दबाजी में लिया गया है और यह कदम कानूनी रूप से चुनौती दिया जाएगा।

क्या है मामला?

केंद्र सरकार ने निर्वाचन आयोग की सिफारिश पर चुनाव संचालन नियमावली, 1961 के नियम 93 में संशोधन किया है।

  • अब सीसीटीवी फुटेज, वेबकास्टिंग रिकॉर्डिंग और उम्मीदवारों की वीडियो रिकॉर्डिंग जैसे इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेज सार्वजनिक निरीक्षण के लिए उपलब्ध नहीं होंगे।
  • सरकार का दावा है कि यह कदम इन रिकॉर्ड्स के दुरुपयोग को रोकने के लिए उठाया गया है।

जयराम रमेश का सवाल: पारदर्शिता से डर क्यों?

जयराम रमेश ने ‘एक्स’ पर लिखा:

“निर्वाचन आयोग की चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता की लगातार गिरती साख का यह सबसे बड़ा उदाहरण है।”

उन्होंने यह भी कहा कि पारदर्शिता भ्रष्टाचार और अनैतिक कार्यों को रोकने में सहायक होती है।

पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट का संदर्भ

रमेश ने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि अदालत ने निर्वाचन आयोग को चुनावी जानकारी साझा करने का निर्देश दिया था।

  • वकील महमूद प्राचा ने हरियाणा विधानसभा चुनाव से संबंधित वीडियोग्राफी, सीसीटीवी फुटेज और फॉर्म 17-सी की प्रतियों की मांग करते हुए याचिका दायर की थी।
  • अदालत ने आयोग को यह जानकारी देने का आदेश दिया था।
    रमेश का आरोप है कि अदालत का पालन करने के बजाय निर्वाचन आयोग ने कानून में संशोधन कर दिया।

क्या बदला गया है?

चुनाव संचालन नियमावली के नियम 93 में बदलाव करते हुए ‘‘कागजात’’ शब्द के बाद ‘‘जैसा कि इन नियमों में निर्दिष्ट है’’ जोड़ा गया।

  • इसका मतलब है कि अब केवल उन्हीं दस्तावेजों को सार्वजनिक किया जाएगा, जिनका स्पष्ट रूप से नियमों में उल्लेख है।
  • सीसीटीवी और वेबकास्टिंग फुटेज जैसे दस्तावेज़ अब इस दायरे से बाहर हैं।

निर्वाचन आयोग का तर्क

निर्वाचन आयोग ने कहा कि यह कदम मतदान की गोपनीयता को सुरक्षित रखने के लिए उठाया गया है।

  • अधिकारियों का कहना है कि सीसीटीवी फुटेज का दुरुपयोग करके मतदान केंद्रों की गोपनीयता को खतरा हो सकता है।
  • फुटेज का इस्तेमाल एआई तकनीक से फर्जी विमर्श तैयार करने के लिए किया जा सकता है।

एक अधिकारी ने कहा:

“ऐसा कोई भी इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड, जो नियमों में शामिल नहीं है, उसकी सार्वजनिक निरीक्षण की अनुमति नहीं दी जाएगी। हालांकि, उम्मीदवार और संबंधित पक्ष इसे अदालत के जरिए प्राप्त कर सकते हैं।”

कांग्रेस का रुख

कांग्रेस ने इस संशोधन को लेकर विरोध जताया है और इसे लोकतंत्र के लिए खतरा बताया। रमेश ने कहा कि यह कदम निर्वाचन आयोग की सत्यनिष्ठा पर सवाल खड़े करता है और इसे अदालत में चुनौती दी जाएगी।