देहरादून, 14 मई (हि.स.)। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रदेश मीडिया मनवीर सिंह चौहान ने कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा का केंद्रीय संस्थानों के राज्य से पलायन के आरोप को बेबुनियाद एवं आधारहीन बताया है।
प्रदेश मीडिया प्रभारी मनवीर चौहान ने कहा कि कांग्रेस पहले परियोजनाओं के खिलाफ आंदोलन करती है फिर उनके धीमे निर्माण पर सवाल खड़ा करना उसका दोहरा मापदंड है। कांग्रेस अपनी डबल इंजन सरकार में एक नए पैसे का निवेश नहीं किया,उसके लिए इंवेस्टर समिटमें हुए ढेड़ लाख करोड़ रुपये के एमओयू की ग्राउंडिग होने पर विश्वास करना मुमकिन नही है।
उन्होंने कहा कि राज्य में विद्युत परियोजनाओं को लेकर कांग्रेस के दावे आधारहीन हैं। नये प्रोजेक्ट जल्दी ही अस्तित्व में आने वाले हैं। राज्य सरकार पीएमओ से जुड़ी 44 परियोजनाओं को केन्द्र के समुख रख चुकी है और इनमे 21 जल विद्युत परियोजनाएं ऐसी है जिन पर कोई विवाद नही है और उन्हें वन एवं पर्यावरण मंत्रालय और सुप्रीम कोर्ट की एक्सपर्ट कमेटी की ओर से हरी झंडी मिल चुकी है। 669.30 मेगावाट की 10 परियोजनाओं को सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में बनी एक्सपर्ट कमेटी हरी झंडी दे चुकी है। वहीं 1154.30 मेगावाट की 11 परियोजनाओं को पर्यावरण मंत्रालय की क्लिएरेंस मिल चुकी है।
मनवीर चौहान ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष के अधिकांश आरोप अज्ञानतावश,आधी अधूरी जानकारी या भ्रम फैलाने की मंशा पर आधारित होते हैं। वह जिन नवरत्न कंपनियों के पलायन की झूठी और आधारहीन बात कर रहे हैं, उनके द्वारा क्रियानवित सभी प्रोजेक्ट में निर्माण कार्य प्रगति पर हैं। कांग्रेस प्रदेश में परियोजनाओं को लेकर दोहरी राजनीति कर रही है। जोशीमठ से लेकर अनेकों स्थान हैं जहां तात्कालिक परिस्थितियों का राजनैतिक लाभ लेने के लिएं कांग्रेस परियोजनाओं का विरोध करती रही है।
उनके द्वारा जमरानी, किसाऊ और लखवाड़ व्यासी जैसी परियोजनाओं को दशकों तक रोकने का काम किया गया जो राज्य को ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बना सकते थे। वहीं प्रधानमंत्री मोदी ने एक के बाद एक लगातार वर्षों से लंबित इन परियोजनाओं को धरातल पर उतारने का काम किया है। प्रदेश की अधिकांश परियोजनाओं को मुख्यमंत्री धामी के प्रयासों से केंद्रीय पर्यावरण नियमों से छूट की सैद्धांतिक सहमति मिल गई है, जिनपर नई सरकार में आगे बढ़ना तय है।
उन्होंने औधौगिक निवेश को लेकर कांग्रेस को कटघरे मे खड़ा करते हुए कहा कि कांग्रेस के हाथ निवेश के मामले में खाली रहे हैं और जो औद्योगिक पैकेज अटल सरकार ने दिया था उसे भी ल यूपीए सरकार ने छीन लिया था। राज्य में 10 वर्षों में 2 लाख करोड़ से अधिक की योजनाएं धरातल पर गतिमान है और इससे कांग्रेस के कार्यकाल में इसका 15 प्रतिशत भी नहीं हुआ।