कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत की उस टिप्पणी की आलोचना की है, जिसमें भागवत ने कहा था कि राम मंदिर के निर्माण के बाद ही भारत को “सच्ची आजादी” मिली है। जयराम रमेश ने भागवत के इस बयान को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और संविधान का अपमान बताते हुए उनसे माफी मांगने की मांग की। उन्होंने समाचार एजेंसी ANI से बातचीत में कहा, “मोहन भागवत कई विषयों पर बेतुके बयान देते रहते हैं। उनका यह बयान महात्मा गांधी और बाबा साहेब आंबेडकर द्वारा बनाए गए संविधान का अपमान है और यह देश के खिलाफ है। मोहन भागवत को इसके लिए माफी मांगनी चाहिए।”
सोमवार को मोहन भागवत ने इंदौर में एक कार्यक्रम में कहा था कि भारत ने राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह के दिन सच्ची आजादी देखी। उन्होंने कहा, “हमारी 5000 साल पुरानी परंपरा क्या है? वह परंपरा जो भगवान राम, भगवान श्रीकृष्ण और भगवान शिव से शुरू हुई। भारत को 1947 में आजादी तो मिली, लेकिन उसकी स्थापना नहीं हो सकी।” भागवत ने यह भी कहा कि अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की तिथि को ‘प्रतिष्ठा द्वादशी’ के रूप में मनाना चाहिए क्योंकि उस दिन देश की सच्ची स्वतंत्रता प्रतिष्ठित हुई थी।
कांग्रेस सांसद दिग्विजय सिंह ने भी भागवत की “स्वतंत्रता” पर टिप्पणी की निंदा की और कहा कि भागवत को माफी मांगनी चाहिए क्योंकि उन्होंने देशवासियों की भावनाओं को ठेस पहुंचाई है। मीडिया से बात करते हुए सिंह ने कहा, “मैं इस बयान की निंदा करता हूं। भागवत ने महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, सरदार वल्लभभाई पटेल और अन्य स्वतंत्रता सेनानियों का अपमान किया है, जिन्होंने अपना जीवन स्वतंत्रता संग्राम के लिए समर्पित किया।”
छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भूपेश बघेल ने भी भागवत के बयान को स्वतंत्रता आंदोलन का अपमान करार दिया। उन्होंने संवाददाताओं से कहा, “उनके बयान से स्पष्ट है कि वह संविधान का सम्मान नहीं करते और आजादी की लड़ाई का अपमान कर रहे हैं। यह भी दिखाता है कि भाजपा और RSS के लोग संविधान को बदलने की कोशिश कर रहे हैं।” बघेल ने यह भी कहा कि राहुल गांधी के “इंडियन स्टेट” वाले बयान को भाजपा के लोगों ने गलत तरीके से पेश किया है।