RSS पर पाबंदी लगाने चली थी कांग्रेस सरकार, हाईकोर्ट ने फैसले पर लगाई रोक, पूछा- यह अधिकार कहां से मिला?
News India Live, Digital Desk: कर्नाटक की सिद्धारमैया सरकार को हाईकोर्ट से करारा झटका लगा है. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की गतिविधियों को निशाना बनाने के मकसद से जारी किए गए एक सरकारी आदेश पर कर्नाटक हाईकोर्ट ने अंतरिम रोक लगा दी है. कोर्ट ने इस मामले में राज्य सरकार को नोटिस जारी करते हुए तीखे शब्दों में पूछा है कि उसे नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों पर इस तरह की पाबंदी लगाने का अधिकार आखिर मिला कहां से?
यह अहम फैसला जस्टिस एम. नागप्रसन्ना की बेंच ने हुबली स्थित 'पुनश्चेतन सेवा संस्था' द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया. इस रोक के बाद अब RSS समेत अन्य निजी संगठन पहले की तरह ही सरकारी परिसरों में अपने कार्यक्रम आयोजित कर सकेंगे.
क्या था सरकार का वह विवादित आदेश?
कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने हाल ही में एक आदेश जारी किया था, जिसके तहत किसी भी सरकारी परिसर जैसे- स्कूल, कॉलेज, पार्क, खेल के मैदान आदि में 10 से ज़्यादा लोगों के इकट्ठा होने या किसी भी तरह का कार्यक्रम करने के लिए सरकार से पहले इजाजत लेना अनिवार्य कर दिया गया था. बिना अनुमति के ऐसा करना एक अपराध माना जाता.
इस आदेश को सीधे तौर पर RSS की शाखाओं को निशाना बनाने वाले कदम के तौर पर देखा जा रहा था, क्योंकि RSS अपनी ज़्यादातर शाखाएं सुबह के समय सार्वजनिक पार्कों और मैदानों में ही लगाता है.
सरकार और याचिकाकर्ता की दलीलें
याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील ने कोर्ट को बताया कि सरकार का यह आदेश संविधान द्वारा दिए गए मौलिक अधिकारों का खुला उल्लंघन है. उन्होंने तर्क दिया कि इस आदेश के हिसाब से तो किसी पार्क में बर्थडे पार्टी मनाना भी गैर-कानूनी हो जाएगा. यह नागरिकों के अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और शांतिपूर्ण ढंग से इकट्ठा होने के अधिकार पर सीधा हमला है.
वहीं, राज्य सरकार के वकीलों ने अपना पक्ष रखने के लिए कोर्ट से कुछ और समय की मांग की. सरकार का कहना था कि यह आदेश किसी विशेष संगठन के खिलाफ नहीं है, बल्कि इसका मकसद केवल सरकारी संपत्तियों का सही इस्तेमाल सुनिश्चित करना है.
हाईकोर्ट की कड़ी टिप्पणी
जस्टिस एम. नागप्रसन्ना की बेंच ने सरकार के इस आदेश पर कड़ी टिप्पणी की. कोर्ट ने साफ कहा कि सरकार कोई भी ऐसा आदेश जारी नहीं कर सकती जो संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत नागरिकों को मिले अभिव्यक्ति की आजादी और शांतिपूर्ण सभा करने के मौलिक अधिकार को छीनता हो. कोर्ट ने माना कि यह आदेश पहली नज़र में ही संवैधानिक अधिकारों का हनन करता है और इसी आधार पर इस पर अंतरिम रोक लगा दी गई.
इस मामले में कोर्ट ने राज्य सरकार, गृह विभाग और हुबली पुलिस कमिश्नर को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. मामले की अगली सुनवाई 17 नवंबर को होगी.
क्यों शुरू हुआ था यह पूरा विवाद?
यह पूरा विवाद तब खड़ा हुआ जब राज्य के मंत्री प्रियांक खड़गे ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को एक चिट्ठी लिखकर सरकारी जगहों पर RSS के कार्यक्रम रोकने की मांग की थी. इसके बाद खुद मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने RSS की तुलना तालिबान से करते हुए बैन लगाने की बात कही थी, जिसके कुछ ही दिनों बाद यह आदेश जारी किया गया था. बीजेपी ने इस कदम को कांग्रेस सरकार की 'बदले की राजनीति' करार दिया था.
--Advertisement--