लालू परिवार में घमासान ,तेज प्रताप ने बहन के लिए PM मोदी से लगाई गुहार, पूछा कहीं मेरे माँ-बाप को तो कोई सता नहीं रहा?

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News India Live, Digital Desk: बिहार का सबसे बड़ा राजनीतिक परिवार, लालू प्रसाद यादव का परिवार, इन दिनों एक बड़े पारिवारिक संकट से गुजर रहा है. विधानसभा चुनाव में RJD की हार के बाद शुरू हुई ये लड़ाई अब खुलकर सड़क पर आ गई है. इस घमाсан के बीच, लालू के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव ने एक ऐसा कदम उठाया है जिसने बिहार की राजनीति में हलचल मचा दी है. उन्होंने अपनी बहन रोहिणी आचार्य के पक्ष में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बिहार सरकार से मदद की अपील की है.

आखिर ऐसा क्या हुआ कि तेज प्रताप को ये कदम उठाना पड़ा?

ये पूरा विवाद लालू यादव की दूसरी बेटी, रोहिणी आचार्य के आरोपों से शुरू हुआ. वही रोहिणी जिन्होंने कुछ समय पहले अपने पिता लालू यादव को अपनी एक किडनी दान की थी. रोहिणी ने सोशल मीडिया पर एक भावुक पोस्ट में लिखा था कि उन्हें और उनके पति को परिवार में अपमानित किया जा रहा है और घर से निकाल दिया गया है. उन्होंने इशारों में अपने छोटे भाई तेजस्वी यादव के करीबियों पर उन्हें परेशान करने का आरोप लगाया था.

"बहन का अपमान बर्दाश्त नहीं" - खुलकर सामने आए तेज प्रताप

इस लड़ाई में तेज प्रताप यादव पूरी तरह से अपनी बहन रोहिणी के साथ खड़े नजर आ रहे हैं. उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा कि मेरे साथ जो हुआ सो हुआ, लेकिन मैं अपनी बहन का अपमान बर्दाश्त नहीं कर सकता. लेकिन उन्होंने इसके आगे जो कहा, वो चौंकाने वाला था.

तेज प्रताप ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और बिहार की एनडीए सरकार से इस मामले में हस्तक्षेप की मांग की. उन्होंने कहा, "मैं सरकार से ये मांग करता हूं कि इस बात की उच्च स्तरीय जांच कराई जाए कि कहीं मेरी बहन रोहिणी और मेरे माता-पिता, लालू प्रसाद यादव और राबड़ी देवी, को भी तो कोई प्रताड़ित नहीं कर रहा."

राजनीतिक विरोधियों से इस तरह सार्वजनिक रूप से मदद मांगना लालू परिवार में चल रहे संकट की गहराई को दिखाता है.

लालू ने दी नसीहत, पर विवाद गहराया

परिवार में बढ़ते इस झगड़े पर खुद RJD अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने भी चुप्पी तोड़ी. उन्होंने पार्टी नेताओं को इस मामले पर बयानबाजी से बचने की नसीहत देते हुए कहा कि ये घर का मामला है और इसे सुलझा लिया जाएगा. लेकिन तेज प्रताप के इस कदम के बाद यह साफ हो गया है कि मामला सिर्फ घर की चारदीवारी तक सीमित नहीं रह गया है.

इस पूरे घटनाक्रम ने लालू यादव की राजनीतिक विरासत और RJD के भविष्य पर एक बड़ा सवालिया निशान खड़ा कर दिया है.

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