6 बटुकाें का हुआ सामूहिक उपनयन संस्कार, 16 गांव के श्रद्धालुओं ने लगाया आखिरी अमनिया भोग

849437d283bd3f6db4f55deda33cc89a

जगदलपुर, 14 जुलाई (हि.स.)। बस्तर गोंचा महापर्व में आषाढ़ शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि 15 जुलाई को बाहुडा गोंचा रथयात्रा पूजा विधान के साथ ही भगवान जगन्नाथ स्वामी रथारूढ़ होकर गुडि़चा मंदिर-सिरहासार भवन से श्रीमंदिर लौटेंगे, श्रीमंदिर में भगवान जगन्नाथ, माता सुभद्रा व बलभद्र स्वामी के विग्रहों के पूजा विधान की परंपरानुसार नजर उतारा जावेगा, ततपश्चात कपाट फेड़ा पूजा विधान में लक्ष्मी-नारायण संवाद के बाद भगवान जगन्नाथ स्वामी श्रीमंदिर के गर्भ गृह में आगामी गोंचा पर्व तक के लिए स्थापित होंगे। बस्तर गोंचा की सबसे अनूठी पहचान तुपकी चलाकर भगवान जगन्नाथ स्वामी को सलामी देने की परंपरा का श्रृद्धालू बाहुडा गोंचा रथयात्रा के दौरान भी निर्वहन करेंगे।

प्रति वर्ष की भांति इस वर्ष भी 360 घर आरण्यक ब्राह्मण समाज के द्वारा आज रविवार काे 6 बटुकाें का सामूहिक उपनयन संस्कार संपन्न किया गया जिसमें 1. प्रियांशू पांडे, तीतिरगाव 2. युवराज पांडे, तीतिरगाव 3. आशीष पाढ़ी करमरी 4. गौरव पाणिग्राही आसना 5. थाबिर पाणिग्राही, तालुर 6. त्रिनयन जोशी कोंडावल का उपनयन संस्कार संपन्न हुआ। उल्लेखनीय है कि समाज के संस्थापक अध्यक्ष स्व. माेहन प्रसाद पानीग्राही के द्वारा बस्तर गाेंचा पर्व के दाैरान सामूहिक उपनयन संस्कार की परंपरा 15 वर्ष पूर्व प्रारंभ किया गया था, जिसका निर्वहन उसके पुत्र स्व. उमेशचंद्र पानीग्रही के बाद उनके पुत्राें उत्तम पानीग्रही एवं हेमंत पानीग्राही के द्वारा आज भी निर्वहन किया जा रह है।

इससे पूर्व बस्तर गोंचा पर्व के नियत कार्यक्रम के अनुसार 7 जुलाई को श्रीगोंचा रथयात्रा पूजा विधान के साथ भगवान जगन्नाथ, माता सुभद्रा व बलभद्र स्वामी के विग्रहों को रथारूढ़ कर रथयात्रा के संपन्नता के साथ गुडि़चा मंदिर-सिरहासार भवन में रियासत कालीन परंपरानुसार स्थापित किया गया, जहां भगवान जगन्नाथ, माता सुभद्रा व बलभद्र स्वामी के दर्शन करने के लिए पिछले सप्ताह भर से श्रद्धालु गुडि़चा मंदिर-सिरहासार भवन पहुंच रहे हैं। वहीं बस्तर गोंचा महापर्व के अंतिम पड़ाव में करीतगांव क्षेत्र के 16 गांव के श्रद्धालुओं ने 08 जुलाई को रियासत कालीन शताब्दियों पुरानी परंपरानुसार आखिरी अमनिया भोग का अर्पण भगवान जगन्नाथ, माता सुभद्रा व बलभद्र स्वामी को किया गया। 15 जुलाई को बाहुडा गोंचा रथयात्रा पूजा विधान के साथ ही बस्तर गोंचा पर्व का परायण आगामी वर्ष के लिए हो जाएगा, 17 जुलाई को देवशयनी एकादशी पूजा विधान के बाद देवउठनी एकादशी तक समस्त वैवाहिक आयोजनों पर विराम लग जायेगा।

360 घर आरण्यक ब्राह्मण समाज के अध्यक्ष ईश्वर खंबारी ने बताया कि बस्तर गोंचा महापर्व परायण की ओर अग्रसर है, जिसके तहत 15 जुलाई को बाहुडा गोंचा रथयात्रा पूजा विधान के साथ ही भगवान जगन्नाथ स्वामी श्रीमंदिर लौटेंगे, जहां कपाट फेड़ा पूजा विधान लक्ष्मी-नारायण संवाद के बाद भगवान जगन्नाथ स्वामी श्रीमंदिर के गर्भ गृह में आगामी गोंचा पर्व तक के लिए स्थापित होंगे, आज रविवार काे बस्तर गोंचा पर्व में करितगांव क्षेत्र के 16 गांवों के 360 घर आरण्यक ब्राह्मण समाज के ब्राह्मणों ने भगवान जगन्नाथ, माता सुभद्रा व बलभद्र स्वामी को आखरी अमनिया भोग का अर्पण किया। इसके साथ ही आज पानीग्राही परिवार के उत्तम पानीग्रही एवं हेमंत पानीग्राही ने अपने पूर्वजाें के द्वारा शुरू किये गये सामूहिक उपनयन संस्कार की परंपरा के निर्वहन करते हुए 6 बटुकाें का उपनयन संस्कार संपन्न करवाने में अपना याेगदान दिया।