उत्तर भारत इन दिनों घने कोहरे और शीतलहर की चपेट में है। हिमालयी क्षेत्रों में जमकर बर्फबारी हो रही है, जिससे कई स्थानों पर तापमान शून्य से नीचे चला गया है। इस बीच, भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने चेतावनी दी है कि 4 जनवरी 2025 से उत्तर-पश्चिम भारत में एक और वेस्टर्न डिस्टर्बेंस के प्रभाव से मौसम में भारी बदलाव आएगा।
IMD का पूर्वानुमान: जनवरी से मार्च में कम बारिश
IMD ने बताया कि जनवरी से मार्च 2025 के दौरान उत्तर भारत में सामान्य से कम बारिश होने की संभावना है।
- जनवरी के महीने में अधिकतम और न्यूनतम तापमान सामान्य से अधिक रह सकता है।
- वर्ष 2024 को 1901 के बाद सबसे गर्म साल के रूप में दर्ज किया गया।
वेस्टर्न डिस्टर्बेंस का प्रभाव
हिमालयी क्षेत्रों में भारी बर्फबारी
- 1 से 3 जनवरी 2025: पश्चिमी हिमालयी क्षेत्र में हल्की से छिटपुट बारिश और बर्फबारी होगी।
- 4 से 6 जनवरी 2025: जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, गिलगित-बाल्टिस्तान, और मुजफ्फराबाद में भारी बारिश और बर्फबारी का अनुमान है।
- मैदानी इलाकों में हल्की से मध्यम बारिश की संभावना है।
चक्रवाती तूफान का असर
- 31 दिसंबर 2024: भूमध्यरेखीय हिंद महासागर और दक्षिण-पश्चिम बंगाल की खाड़ी में चक्रवाती तूफान के कारण दक्षिण तमिलनाडु में गरज और बिजली के साथ हल्की से मध्यम बारिश हुई।
- 3 और 4 जनवरी को यह प्रभाव मालदीव और दक्षिण-पूर्व अरब सागर तक फैलने की संभावना है।
शीतलहर और कोहरे की चेतावनी
IMD ने शीतलहर और घने कोहरे को लेकर अलर्ट जारी किया है:
- पश्चिमी उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, हिमाचल प्रदेश, और पूर्वी उत्तर प्रदेश में ठंड बढ़ने की संभावना है।
- 1 से 5 जनवरी 2025: हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, और ओडिशा में घना कोहरा छाए रहने की आशंका।
- उत्तर-पूर्वी भारत में ग्राउंड फ्रॉस्ट:
- अरुणाचल प्रदेश, असम, मेघालय, नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम, और त्रिपुरा के कुछ इलाकों में ग्राउंड फ्रॉस्ट की स्थिति बन सकती है।
मछुआरों के लिए अलर्ट
IMD ने मछुआरों को सतर्क करते हुए कहा:
- 31 दिसंबर से 4 जनवरी तक:
- मन्नार की खाड़ी, दक्षिण-पश्चिम बंगाल की खाड़ी और आसपास के क्षेत्रों में मछली पकड़ने से बचें।
- 3 और 4 जनवरी को मालदीव और दक्षिण-पूर्व अरब सागर में मौसम प्रतिकूल रहेगा।
कैसा रहेगा सर्दियों का मौसम?
बारिश और बर्फबारी का महत्व
- पश्चिमी विक्षोभ के कारण सर्दियों में होने वाली बारिश रबी फसलों के लिए अहम भूमिका निभाती है।
- उत्तर भारत के राज्यों पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, और उत्तर प्रदेश में गेहूं, जौ, और चने जैसी फसलों की उपज इस बारिश पर निर्भर करती है।
सामान्य तापमान से अधिक गर्मी का खतरा
- शीतलहर के बावजूद, IMD ने जनवरी में तापमान सामान्य से अधिक रहने का अनुमान लगाया है, जो रबी फसलों पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है।