वित्त वर्ष 2018 में देश की कुल आबादी के 34.7 फीसदी लोगों के पास नौकरी थी. आरबीआई के आंकड़ों के मुताबिक, वित्त वर्ष 2024 में यह संख्या बढ़कर 44.2 फीसदी हो गई है.
भारतीय रिजर्व बैंक के KLEMS डेटाबेस के मुताबिक, वित्त वर्ष 2018 में नौकरीपेशा लोगों की संख्या 47.5 करोड़ थी, जो 2024 में बढ़कर 64.3 करोड़ हो गई है. यानी वित्त वर्ष 2018 से 2024 के दौरान 16.8 करोड़ लोगों को नौकरियां मिली हैं.
यह डेटाबेस 27 उद्योगों को शामिल करते हुए तैयार किया गया था। आरबीआई का केएलएमएस डेटा उत्पादन में पांच मुख्य बिंदुओं पर जानकारी प्रदान करता है : पूंजी (के) , श्रम (एल) , ऊर्जा (ई) , सामग्री (एम) और सेवाएं (एस)।
इस डेटाबेस में शामिल 27 उद्योगों में कृषि , शिकार , वानिकी और मत्स्य पालन , खनन , विनिर्माण , बिजली , गैस , जल आपूर्ति , निर्माण और सेवा क्षेत्र शामिल हैं।
आरबीआई के आंकड़ों के मुताबिक, वित्त वर्ष 2018 में बेरोजगारी दर 2.2 फीसदी थी, जो वित्त वर्ष 2024 में घटकर 1.4 फीसदी हो गई.
इस डेटा के अनुसार, वित्तीय और व्यावसायिक सेवाओं , शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी उच्च कौशल गतिविधियों में शिक्षित श्रमिकों का अनुपात बढ़ रहा है ।
आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (पीएलएफएस) और आरबीआई के केएलईएमएस डेटा के अनुसार, भारत ने 2017-18 और 2021-22 के बीच 8 करोड़ रोजगार के अवसर पैदा किए हैं। कोरोना काल के बावजूद हर साल 2 करोड़ नौकरियां पैदा हुई हैं.
नेशनल पेंशन सिस्टम (एनपीएस) के आंकड़ों के मुताबिक, वित्तीय वर्ष 2023-24 के दौरान केंद्र और राज्य सरकारों के कुल 7,75,000 नए सदस्य एनपीएस में शामिल हुए हैं । 2022-23 में यह संख्या 5.94 लाख थी. यानी 2023-24 में 30 फीसदी की बढ़ोतरी देखी गई है.