CJI ने जस्टिस यशवंत वर्मा की जांच के लिए बनाई कमेटी, जांच पूरी होने तक कोर्ट नहीं चलेगा

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सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने जस्टिस यशवंत वर्मा मामले में बड़ा कदम उठाया है। मुख्य न्यायाधीश ने न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति गठित की है। जांच पूरी होने तक न्यायमूर्ति वर्मा न्यायिक कार्य नहीं कर सकेंगे। आरोप है कि न्यायमूर्ति वर्मा के सरकारी आवास से नकदी बरामद की गई। इसके बाद उन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे। मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना द्वारा गठित तीन सदस्यीय समिति में न्यायमूर्ति शील नागू, न्यायमूर्ति जी.एस. संधवालिया और न्यायमूर्ति अनु शिवरामन। मुख्य न्यायाधीश खन्ना ने कहा कि जांच निष्पक्ष होनी चाहिए।

न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा पर दिल्ली उच्च न्यायालय की जांच रिपोर्ट प्रस्तुत की गई

दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश डी.के. उपाध्याय ने न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के सरकारी आवास से कथित तौर पर नकदी बरामद होने के संबंध में भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना को एक रिपोर्ट सौंपी है। बताया जा रहा है कि न्यायमूर्ति उपाध्याय ने घटना से संबंधित साक्ष्य और जानकारी जुटाने के लिए आंतरिक जांच प्रक्रिया शुरू की थी और शुक्रवार को ही रिपोर्ट सौंप दी थी। अब सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम इस रिपोर्ट की जांच करेगा और फिर कोई कार्रवाई की जा सकेगी। दावा किया गया है कि होली की रात न्यायमूर्ति वर्मा के लुटियंस आवास में लगी आग बुझाने के दौरान बड़ी मात्रा में नकदी मिली थी।

एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2018 में सीबीआई ने यूपी के सिंभावली शुगर मिल में अनियमितताओं के मामले में जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी। न्यायमूर्ति वर्मा 2014 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश बनने से पहले इस चीनी कंपनी के गैर-कार्यकारी निदेशक थे।