लोन के मामले में सिबिल स्कोर बहुत मायने रखता है। अगर आपका सिबिल स्कोर अच्छा है तो आपको आसानी से लोन मिल जाता है। वहीं अगर आपका क्रेडिट स्कोर खराब है तो लोन मिलने में दिक्कत आती है क्योंकि बैंक सिबिल स्कोर को ही विश्वसनीयता का पैमाना मानते हैं। अगर आपका सिबिल स्कोर खराब है और इस वजह से आपको लोन नहीं मिल पा रहा है तो परेशान होने की जरूरत नहीं है। यहां जानिए वो तरीके जिनसे आप मुश्किल वक्त में अपने लिए पैसों का इंतजाम कर सकते हैं।
NBFC
अगर आपका CIBIL स्कोर खराब है (कम सिबिल स्कोर), आप बैंक से लोन नहीं ले पा रहे हैं और आपको पैसों की बहुत जरूरत है, तो आप NBFC के लिए अप्लाई कर सकते हैं। यहां आपको कम CIBIL स्कोर के साथ भी लोन मिल सकता है। लेकिन ब्याज दरें बैंक से ज्यादा हो सकती हैं।
जॉइंट लोन
अगर आपकी इनकम काफी अच्छी है तो सिबिल स्कोर कम होने पर आप जॉइंट लोन का विकल्प भी चुन सकते हैं या किसी को अपना गारंटर बना सकते हैं। अगर आपके जॉइंट लोन होल्डर या गारंटर का सिबिल स्कोर अच्छा है तो आप आसानी से लोन ले सकते हैं। इसका एक फायदा यह भी है कि अगर आपकी सह-आवेदक कोई महिला है तो आपको ब्याज दरों में कुछ लाभ भी मिल सकता है।
गोल्ड लोन
अगर आपके पास सोना है तो आप इसके बदले में भी लोन ले सकते हैं। गोल्ड लोन को सुरक्षित लोन की श्रेणी में रखा जाता है। आपको सोने के मौजूदा मूल्य का 75 प्रतिशत तक लोन मिल सकता है। इसमें ज्यादा कागजी कार्रवाई नहीं होती और न ही आपका सिबिल स्कोर देखा जाता है। यह लोन आपके लोन को गिरवी रखकर दिया जाता है।
अगर आपने FD कर रखी है, या LIC या PPF जैसी योजनाओं में निवेश किया है, तो आप उन पर लोन भी ले सकते हैं। इसमें आपको आपकी जमा राशि के आधार पर लोन दिया जाता है। इस लोन को चुकाने के लिए एक निश्चित समय दिया जाता है। अगर आपका PPF अकाउंट कम से कम एक वित्तीय वर्ष पुराना है, तो आप लोन के लिए आवेदन कर सकते हैं। इस पर 5 साल के लिए लोन की सुविधा ली जा सकती है, जिसके बाद आंशिक निकासी की सुविधा मिलती है।
एडवांस सैलरी लोन
वित्तीय सेवाएं प्रदान करने वाली कुछ कंपनियां सैलरी एडवांस के रूप में लोन देती हैं। यह लोन आपकी सैलरी का तीन गुना तक हो सकता है। एडवांस सैलरी लोन का एक फायदा यह भी है कि आपको ज्यादा कागजी कार्रवाई की जरूरत नहीं होती। एडवांस सैलरी लोन भी पर्सनल लोन की तरह ही होता है। यह आपको आसानी से मिल जाता है और आप इसे EMI के जरिए तय अंतराल पर चुका सकते हैं। आमतौर पर इसे 15 साल के अंदर चुकाना होता है।