तरुण एक आईटी प्रोफेशनल हैं और उन्होंने अपने 10 साल के करियर में 5 कंपनियां बदलीं। कंपनी बदलने पर उन्होंने सैलरी के लिए नए बैंक में नया अकाउंट खुलवाया। नए अकाउंट खुलते गए, लेकिन वे पुराने अकाउंट बंद करना भूल गए। एक दिन तरुण को पता चला कि उनके एक अकाउंट में फ्रॉड हुआ है। ऐसा सिर्फ तरुण के साथ ही नहीं, बल्कि किसी के साथ भी हो सकता है। अगर आपके नाम पर एक से ज्यादा बैंक अकाउंट हैं। तो आप पर कई तरह के चार्ज बेवजह लग सकते हैं। साथ ही आपका सिबिल स्कोर भी खराब हो सकता है। आइए जानते हैं कि एक से ज्यादा बैंक अकाउंट रखने का क्या नुकसान है।
न्यूनतम शेष राशि का झंझट
एक से ज़्यादा बैंकों में अकाउंट होने से आपको बड़ा नुकसान हो सकता है. अपने हर अकाउंट को मेंटेन करने के लिए आपको उसमें एक तय रकम (Minimum Balance) रखनी होती है. इसका मतलब ये है कि अगर आपके एक से ज़्यादा अकाउंट हैं तो आपकी एक बड़ी रकम बैंकों में फंस जाएगी. उस रकम पर आपको अधिकतम 4 से 5 फीसदी सालाना रिटर्न (Savings Bank account Interest rate) मिलता है. वहीं अगर आप पैसे को सेविंग अकाउंट में रखने की बजाय दूसरी स्कीम में निवेश करते हैं तो आपको सालाना रिटर्न के तौर पर ज़्यादा ब्याज मिलेगा.
ये अतिरिक्त शुल्क लगाए जाते हैं
कई खाते रखने से आपको सालाना रखरखाव शुल्क (बैंक खाता रखरखाव मुफ़्त) और सेवा शुल्क (बैंक सेवा शुल्क) देना पड़ता है। क्रेडिट कार्ड और डेबिट कार्ड के अलावा बैंक आपसे अन्य बैंकिंग सुविधाओं के लिए भी शुल्क लेता है। इसलिए यहां भी आपको बहुत सारा पैसा नुकसान उठाना पड़ता है।
क्रेडिट स्कोर ख़राब हो जाता है
एक से ज़्यादा निष्क्रिय खाते होने से भी आपके क्रेडिट स्कोर पर बुरा असर पड़ता है। अपने खाते में मिनिमम बैलेंस न रखना आपके क्रेडिट स्कोर को खराब करता है। इसलिए निष्क्रिय खातों को कभी भी हल्के में न लें और नौकरी छोड़ते ही उस खाते को बंद करवा दें।
आयकर विभाग की इस पर नजर
ज़्यादा बैंकों में खाते होने से टैक्स भरते समय काफ़ी दिक्कतें आती हैं. कागजी कार्रवाई में भी काफ़ी झंझट होती है. साथ ही, इनकम टैक्स भरते समय (ITR रिटर्न फ़ाइल) सभी बैंक खातों से जुड़ी जानकारी रखनी पड़ती है. अक्सर इनके स्टेटमेंट का रिकॉर्ड जुटाना काफ़ी जटिल काम हो जाता है. अगर सभी बैंकों की डिटेल नहीं दी गई तो आयकर विभाग उन्हें नोटिस कर सकता है.
खाता वेतन से बचत में परिवर्तित हो जाता है
अगर किसी सैलरी अकाउंट में तीन महीने तक सैलरी नहीं आती है तो उसे सेविंग अकाउंट में बदल दिया जाता है। सेविंग अकाउंट में बदलने के बाद अकाउंट को लेकर बैंक के नियम बदल जाते हैं। तब बैंक उसे सेविंग अकाउंट की तरह ही मानता है। बैंक के नियमों के मुताबिक सेविंग अकाउंट में मिनिमम बैलेंस रखना जरूरी है। अगर आप इसे मेंटेन नहीं करते हैं तो आपको पेनाल्टी देनी पड़ सकती है और बैंक आपके अकाउंट में जमा रकम से पैसे काट सकता है।