चंकी पांडे 90 के दशक में बॉलीवुड के सबसे हैंडसम और गुड लुकिंग अभिनेताओं में गिने जाते थे। उनकी आकर्षक पर्सनैलिटी और अभिनय प्रतिभा ने उन्हें कई हिट फिल्मों का हिस्सा बनाया। लेकिन इसके बावजूद वह उस स्तर का स्टारडम हासिल नहीं कर सके, जो उनके समकालीन कलाकारों ने प्राप्त किया।
हिट फिल्मों के बावजूद सीमित सफलता
90 के दशक में चंकी पांडे ने कई यादगार फिल्मों में काम किया, जिन्हें दर्शकों ने काफी सराहा। लेकिन ज्यादातर फिल्में सेकेंड लीड तक ही सीमित रहीं। समय के साथ उनका करियर संघर्षपूर्ण दौर में पहुंच गया।
फिल्म इंडस्ट्री से बांग्लादेश तक का सफर
करियर में लगातार गिरावट के चलते चंकी पांडे ने बॉलीवुड को अलविदा कह दिया और बांग्लादेश का रुख किया। वहां उन्होंने फिल्मों से दूर होकर प्रॉपर्टी डीलिंग का काम शुरू किया। यह कदम उनके करियर की असफलताओं से जुड़ी चुनौतियों को दर्शाता है।
अनन्या पांडे की धमाकेदार शुरुआत
जो मुकाम चंकी पांडे अपने लंबे करियर में हासिल नहीं कर सके, उनकी बेटी अनन्या पांडे ने अपनी पहली ही फिल्म से कर दिखाया। अनन्या ने करण जौहर की फिल्म “स्टूडेंट ऑफ द ईयर 2” से बॉलीवुड में कदम रखा। उनकी यह डेब्यू फिल्म दर्शकों के बीच हिट रही और उन्होंने अपनी एक अलग पहचान बना ली।
बचपन के अनुभव और पिता की फिल्में
हाल ही में अनन्या ने एक इंटरव्यू में अपने पिता की फिल्मों और बचपन के कुछ अनुभव साझा किए। यूट्यूब चैनल “वी आर युवा” से बातचीत में अनन्या ने बताया कि वह अपने पिता की फिल्में देखने से डरती थीं।
- उन्होंने खुलासा किया कि चंकी पांडे की कई फिल्मों में उनके किरदार की मौत हो जाती थी।
- उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा, “मुझे उनकी फिल्म डी कंपनी याद है, जिसमें उन्हें गोली लगती है और वह मर जाते हैं। यह देखकर मुझे लगता था कि यह सच में हो रहा है।”
चंकी पांडे का फिल्मी संघर्ष
चंकी पांडे ने भी स्वीकार किया कि अपने करियर की शुरुआत में उन्होंने कई ऐसी फिल्में कीं, जिनमें उनके किरदार का अंत दुखद होता था।
- उन्होंने कहा, “मुझे पाप की दुनिया जैसी फिल्मों में अपने किरदार को मरते देखना भावनात्मक रूप से कठिन लगता था।”
बेटी की सफलता पर गर्व
आज अनन्या पांडे अपनी मेहनत और टैलेंट से बॉलीवुड में अपने पिता से कहीं आगे बढ़ चुकी हैं। चंकी पांडे अपनी बेटी की सफलता पर गर्व महसूस करते हैं। अनन्या ने यह साबित कर दिया है कि उनका सफर अलग और प्रेरणादायक है।