Chinmoy Krishna Das Bail:बांग्लादेश की एक चटगांव अदालत ने ISKCON के पूर्व पुजारी चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी की जमानत याचिका खारिज कर दी। गुरुवार को कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच हुई सुनवाई में, चटगांव मेट्रोपॉलिटन सेशंस जज एमडी सैफुल इस्लाम ने लगभग 30 मिनट तक दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद यह निर्णय लिया।
चिन्मय कृष्ण दास की जमानत याचिका खारिज
द डेली स्टार की रिपोर्ट के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट के 11 वकीलों की टीम ने चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी का पक्ष रखा। सुबह करीब 10:15 बजे (स्थानीय समय) वकील अदालत पहुंचे। हालांकि, उनकी दलीलें अदालत को संतुष्ट नहीं कर सकीं और जमानत याचिका खारिज कर दी गई।
वकीलों की प्रतिक्रिया
वकील अपूर्वा कुमार भट्टाचार्जी ने कहा:
“हम एंजीबी ओइक्या परिषद के बैनर तले चटगांव आए और जमानत के लिए याचिका दायर की। मुझे चिन्मय से वकालतनामा पहले ही मिल चुका था। मैं सुप्रीम कोर्ट और चटगांव बार एसोसिएशन दोनों का सदस्य हूं, इसलिए मुझे मामले को आगे बढ़ाने के लिए किसी स्थानीय वकील से प्राधिकरण की जरूरत नहीं थी।”
मामले का पृष्ठभूमि
राजद्रोह का आरोप
चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी पर 25 अक्टूबर, 2024 को चटगांव में बांग्लादेश के राष्ट्रीय ध्वज के ऊपर भगवा झंडा फहराने का आरोप है। यह घटना राष्ट्रीय अस्मिता के खिलाफ मानी गई, जिससे व्यापक असंतोष फैला।
गिरफ्तारी और विरोध प्रदर्शन
- 25 नवंबर: चिन्मय की गिरफ्तारी के बाद पूरे बांग्लादेश में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए।
- 27 नवंबर: चटगांव कोर्ट बिल्डिंग के बाहर उनके समर्थकों और सुरक्षा बलों के बीच हिंसक झड़पें हुईं।
- इन झड़पों में एक वकील की मौत हो गई, जिससे मामला और गंभीर हो गया।
अदालत में सुनवाई का घटनाक्रम
- 3 दिसंबर, 2024: चटगांव अदालत ने जमानत पर सुनवाई के लिए 2 जनवरी 2025 की तारीख तय की।
- अभियोजन पक्ष ने अतिरिक्त समय के लिए याचिका दायर की थी, क्योंकि उस समय चिन्मय दास के पक्ष में कोई वकील उपस्थित नहीं था।
- 2 जनवरी, 2025: दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने जमानत याचिका खारिज कर दी।
क्या कहता है कानून?
राजद्रोह के मामले में बांग्लादेश का कानून सख्त है। राष्ट्रीय ध्वज का अपमान और इसे धार्मिक या राजनीतिक उद्देश्यों के लिए उपयोग करना गंभीर अपराध माना जाता है। चिन्मय कृष्ण दास पर लगे आरोप इस कानून के तहत आते हैं, जिससे उनकी जमानत मुश्किल हो गई।
चिन्मय दास विवाद: सार्वजनिक प्रतिक्रिया
समर्थकों का विरोध
चिन्मय कृष्ण दास के समर्थकों का कहना है कि उन्हें राजनीतिक और धार्मिक कारणों से निशाना बनाया जा रहा है।
- सामाजिक संगठन: ISKCON के अनुयायियों और अन्य धार्मिक संगठनों ने गिरफ्तारी के खिलाफ प्रदर्शन किए।
- सामान्य नागरिक: कुछ लोगों ने इसे धार्मिक भावनाओं के दमन का मामला बताया है।
सरकार का रुख
सरकार का कहना है कि कानून सभी के लिए समान है और राजद्रोह के मामले में कोई रियायत नहीं दी जा सकती।