अमेरिका में एच1-बी वीजा को लेकर बहस फिर से गरम हो गई है। हाल ही में एक सर्वेक्षण में पता चला है कि अधिकांश अमेरिकियों का मानना है कि देश में पहले से ही सफेदपोश नौकरियों के लिए कुशल कर्मचारियों की पर्याप्त संख्या है, इसलिए उन्हें अतिरिक्त विदेशी श्रमिकों की आवश्यकता नहीं है। यह रिपोर्ट नवंबर में तैयार की गई थी, जिसमें अधिकतर अमेरिकियों ने श्रम की कमी के घरेलू समाधानों का समर्थन किया है।
एलन मस्क, जिन्होंने श्रमिकों की कमी को पूरा करने के लिए एच-1बी वीजा कार्यक्रम के विस्तार की वकालत की थी, ने अब इस मुद्दे पर नरम रुख अपनाया है। उन्होंने कहा है कि कुशल विदेशी श्रमिकों को अमेरिका लाने के लिए मौजूदा प्रणाली में सुधार करने की आवश्यकता है। एच-1बी वीजा एक गैर-प्रवासी वीजा है, जो अमेरिकी कंपनियों को विशेष तकनीकी या सैद्धांतिक विशेषज्ञता वाले व्यवसायों में विदेशी श्रमिकों की नियुक्ति की अनुमति देता है।
मस्क ने तर्क किया कि उनकी कंपनियों, जैसे स्पेसएक्स और टेस्ला, को विदेशी कर्मचारियों की आवश्यकता है। हाल के समय में, नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मस्क और भारतीय-अमेरिकी उद्यमी विवेक रामास्वामी को अपने डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट एफिशिएंसी का नेतृत्व करने के लिए चुना है। ट्रंप ने पहले एच-1बी वीजा कार्यक्रम पर पाबंदी लगाई थी, लेकिन हाल में उन्होंने कहा कि उन्हें हमेशा वीजा पसंद आया है।
सर्वे के नतीजों से यह स्पष्ट होता है कि 26 प्रतिशत अमेरिकी अधिक विदेशी श्रमिकों की नियुक्ति के पक्ष में हैं, जबकि 60 प्रतिशत का मानना है कि पहले से ही कुशल व्यक्तियों की कमी नहीं है। यह देखना दिलचस्प होगा कि ये सर्वेक्षण परिणाम एच-1बी वीजा पर चल रही बहस को किस प्रकार प्रभावित करते हैं और क्या ट्रंप की सोच इस मुद्दे पर फिर से बदल सकती है।