बच्चों की सही परवरिश: इन समयों पर बिल्कुल न डांटें, वरना हो सकता है नुकसान

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बच्चों की परवरिश करना एक चुनौतीपूर्ण और निरंतर चलने वाली जिम्मेदारी है। माता-पिता भी बच्चों के साथ-साथ नई चीजें सीखते हैं और खुद को बेहतर बनाते हैं। डिसिप्लिन सिखाना जरूरी होता है, लेकिन इसके लिए हर समय डांटना सही नहीं। छोटे बच्चों का जिद्दी और शरारती होना स्वाभाविक है, लेकिन अगर उन्हें पूरी तरह छूट दी जाए, तो आगे चलकर यह आदत बनी रह सकती है। इसलिए प्यार से समझाना और जरूरत पड़ने पर सख्ती दिखाना जरूरी है।

हालांकि, हर समय डांट-फटकार से बच्चे का आत्मविश्वास और भावनात्मक विकास प्रभावित हो सकता है। कुछ खास समय ऐसे होते हैं जब बच्चों को डांटना उनके मानसिक स्वास्थ्य और आपके आपसी रिश्ते पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। आइए जानते हैं वे कौन से समय हैं, जब बच्चों को बिल्कुल भी डांटना नहीं चाहिए—

1. सोने से पहले कभी न डांटें

बच्चे के सोने से एक घंटे पहले उसे डांटने से बचें। यदि बच्चा गुस्से या डर के साथ सोता है, तो यह भावना उसके सबकॉन्शियस माइंड में बैठ जाती है। इससे बच्चा सुबह भी नेगेटिव मूड के साथ उठता है और उसका पूरा दिन तनावपूर्ण हो सकता है। इसलिए सोने से पहले पॉजिटिव बातें करें और यदि उसे समझाना हो तो शांत और प्यार भरे तरीके से समझाएं।

2. सुबह उठने के तुरंत बाद डांटना सही नहीं

सुबह उठते ही बच्चे को डांटने से बचना चाहिए। कई बार माता-पिता स्कूल जाने की जल्दी, ब्रेकफास्ट करने या रेडी होने के चक्कर में बच्चों पर चिल्लाने लगते हैं। इससे बच्चा दिन की शुरुआत ही नकारात्मक सोच के साथ करता है। कोशिश करें कि बच्चे की सुबह खुशहाल और सकारात्मक हो, ताकि वह पूरे दिन बेहतर मूड और ऊर्जा के साथ रहे और स्कूल में अच्छा प्रदर्शन कर सके।

3. पढ़ाई के दौरान डांटने से बचें

अगर बच्चा पढ़ाई के दौरान ध्यान नहीं लगा पा रहा या गलती कर रहा है, तो उस पर चिल्लाने के बजाय शांतिपूर्वक समझाने की कोशिश करें। लगातार डांटने से बच्चा पढ़ाई को बोझ समझने लगता है और उसका आत्मविश्वास कम हो सकता है। पढ़ाई को इंट्रेस्टिंग और मजेदार बनाने के लिए खेल-खेल में सीखने की तकनीक अपनाएं।

4. खाने के वक्त न लगाएं डांट

खाने का समय परिवार के साथ जुड़ाव और पॉजिटिव माहौल बनाने का वक्त होता है। अगर बच्चे को इस दौरान डांटा जाता है, तो वह भोजन से चिढ़ सकता है या खाने से दूर भागने लग सकता है। इससे उसकी भोजन संबंधी आदतें प्रभावित हो सकती हैं। इसलिए खाने के वक्त हल्के-फुल्के मजाक और बातचीत के साथ माहौल को खुशनुमा रखें।

5. दोस्तों या रिश्तेदारों के सामने न डांटें

बच्चे को दूसरों के सामने डांटने से उसका आत्मविश्वास कम हो सकता है और वह हीन भावना से भर सकता है। इससे वह समाज में असहज महसूस करने लगता है और लोगों से बचने की कोशिश करता है। यदि कोई गलती हो भी जाए, तो बच्चे को अकेले में प्यार से समझाएं।