Chhattisgarh: रायपुर का वो भुतहा लाल बंगला, जहां आज भी किसी का गला दबा देती हैं आत्माएं
News India Live, Digital Desk: हर शहर की अपनी कुछ कहानियां होती हैं... कुछ किस्से होते हैं, जो गलियों और चौराहों पर दबी जुबान में सुनाए जाते हैं। ऐसी ही एक कहानी है छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के 'लाल बंगले' की। सिविल लाइंस इलाके में मौजूद यह बंगला आज भले ही जर्जर हो चुका हो, लेकिन इससे जुड़े खौफनाक किस्से आज भी लोगों के दिलों में सिहरन पैदा कर देते हैं।
लोग बताते हैं कि यह बंगला अंग्रेजों के जमाने का है, करीब सौ साल पुराना। कहते हैं कि यहां किसी अंग्रेज अफसर का परिवार रहता था, जिनके साथ कोई बहुत बड़ी अनहोनी हुई थी। बस उसी दिन से यह बंगला हंसते-खेलते परिवार का घर नहीं, बल्कि भटकती रूहों का बसेरा बन गया।
क्यों डरते हैं लोग यहां जाने से?
आसपास रहने वाले बड़े-बुजुर्ग बताते हैं कि जो कोई भी इस बंगले में या इसके करीब से गुजरता है, उसे एक अजीब सी घुटन महसूस होती है। कई लोगों ने दावा किया है कि उन्हें ऐसा लगा जैसे कोई अदृश्य ताकत उनका गला दबा रही हो। यही वजह है कि आज भी लोग इस बंगले के सामने वाली सड़क से गुजरने से कतराते हैं, खासकर शाम ढलने के बाद।
देर रात सुनाई देती हैं चीखें और चूड़ियों की आवाज
स्थानीय लोगों के अनुसार, देर रात में इस बंगले के अंदर से अक्सर महिलाओं और बच्चों के रोने और चीखने की आवाजें सुनाई देती हैं। कुछ लोगों ने तो पायल और चूड़ियों की खनक सुनने का भी दावा किया है। कहते हैं कि यह आवाजें उसी परिवार की हैं, जिनकी आत्माएं आज तक इस बंगले को अपना घर मानती हैं और किसी बाहरी का आना उन्हें बर्दाश्त नहीं होता।
आज यह बंगला वीरान पड़ा है। पेड़ों और झाड़ियों ने इसे चारों तरफ से घेर लिया है, जो इसे दिन के उजाले में भी और डरावना बना देता है। विज्ञान इन बातों को मानता हो या न मानता हो, लेकिन रायपुर के 'लाल बंगले' की कहानी और उससे जुड़ा खौफ आज भी लोगों के बीच जिंदा है और पीढ़ी-दर-पीढ़ी सुनाया जाता है। यह बंगला सिर्फ एक इमारत नहीं, बल्कि रायपुर के अनसुलझे रहस्यों का एक जीता-जागता गवाह है।
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