Chhattisgarh Naxal : जब 25 लाख का इनामी नक्सली बोला- हथियार डाल दो, अब कोई रास्ता नहीं बचा

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News India Live, Digital Desk: दशकों से छत्तीसगढ़ के बस्तर के जंगल गोलियों की आवाज और बारूद की गंध से भरे रहे हैं। लेकिन अब इन्हीं जंगलों से एक ऐसी आवाज गूंज रही है, जिसने सबको हैरान कर दिया है। यह आवाज किसी हमले या धमकी की नहीं, बल्कि हार, डर और मजबूरी की है।

माओवादियों के सबसे बड़े और खूंखार नेताओं में से एक, गुडसा उसेंडी उर्फ सुखदेव कोवासी, ने एक ऑडियो टेप जारी किया है। इस टेप में वह अपने ही कैडर के नक्सलियों से हथियार डालने और सरेंडर करने की अपील कर रहा है। गुडसा उसेंडी कोई छोटा-मोटा नक्सली नहीं है, वह माओवादियों की दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी का प्रवक्ता है और उस पर 25 लाख रुपये का इनाम है।

आखिर ऐसा क्या हुआ कि टूटी नक्सलियों की कमर?

गुडसा उसेंडी के इस ऑडियो टेप ने उस डर को उजागर कर दिया है जो पिछले कुछ महीनों से नक्सलियों के दिलों में बैठा हुआ है। इसकी सबसे बड़ी वजह है सुरक्षाबलों द्वारा चलाया जा रहा 'ऑपरेशन कगार'

अपने ऑडियो में उसेंडी साफ-साफ कह रहा है:
"सुरक्षाबलों ने हमें चारों तरफ से घेर लिया है। ऑपरेशन इतना तेज है कि हमें एक जगह से दूसरी जगह जाने का मौका तक नहीं मिल रहा। न हम ठीक से खा पा रहे हैं, न सो पा रहे हैं। हमारा जीना मुश्किल हो गया है।"

उसने बताया कि जवान अब ड्रोन और हेलिकॉप्टर जैसी आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिससे जंगलों में छिपना लगभग नामुमकिन हो गया है।

गांव वालों ने भी छोड़ा साथ

नक्सलियों के लिए सबसे बड़ा झटका यह भी है कि अब उन्हें स्थानीय गांव वालों का समर्थन भी नहीं मिल रहा है। जो गांव वाले कभी डर या सहानुभूति में उनकी मदद करते थे, अब वे भी सुरक्षाबलों के बढ़ते दबाव और विकास कार्यों को देखकर उनसे मुंह मोड़ रहे हैं। गांव वाले अब नक्सलियों को न तो खाना-पानी दे रहे हैं और न ही छिपने की जगह।

पुलिस ने की ऑडियो की पुष्टि

बस्तर के आईजी पी. सुंदरराज ने इस ऑडियो टेप के असली होने की पुष्टि की है। उन्होंने कहा कि यह सुरक्षाबलों की रणनीति की एक बहुत बड़ी जीत है। यह ऑडियो टेप साबित करता है कि माओवादियों का ढांचा अब चरमरा गया है और उनके बड़े नेता भी समझ चुके हैं कि अब उनके पास हिंसा का रास्ता छोड़ने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है।

पुलिस ने गुडसा उसेंडी समेत बाकी नक्सलियों से भी अपील की है कि वे सरकार की पुनर्वास नीति का लाभ उठाएं और हथियार डालकर मुख्यधारा में लौट आएं। यह ऑडियो क्लिप बस्तर में चल रही लड़ाई में एक बड़ा मनोवैज्ञानिक मोड़ साबित हो सकता है, जहां अब नक्सली खुद ही अपने साथियों को हथियार डालने के लिए कह रहे हैं।

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