जोधपुर, 5 नवम्बर (हि.स.)। सूर्योपासना और परिवार में खुशहाली व समृद्धि से जुड़ा प्रमुख लोकपर्व डाला छठ पर्व मंगलवार को नहाय खाय के साथ शुरू हो गया। दिवाली के बाद आने वाला यह त्योहार चार दिन तक मनाया जाएगा। बिहार, झारखंड, उत्तरप्रदेश, उड़ीसा, छत्तीसगढ़ मूल के रहने वाले लोग इस त्याेहार को उत्साह के साथ मनाते हैं। यहां के रहने वाले लोग व्रत रखते है। कुड़ी, मधुबन और बासनी क्षेत्र में बिहार और उत्तर प्रदेश के कई लोग रहते है। वे लोग इस पर्व को मना रहे है। महोत्सव के दूसरे दिन बुधवार को खरना का व्रत शुरू होगा।
चार दिवसीय डाला छठ पूजन उत्सव आज सुबह मंगल गीतों के बीच सुबह नहाए खाय की रस्म के साथ शुरू हुआ। लोक आस्था के महापर्व छठ पर्व पर नहाय-खाय के दिन कद्दू-भात का प्रसाद बनाया गया और व्रती लोगों ने इसे ग्रहण किया। नहाय-खाय के दिन से घर में सात्विक भोजन बनने लगता है और साफ-सफाई का भी विशेष ध्यान रखा जाता है। इस दौरान व्रती भोजन में प्याज-लहसुन का इस्तेमाल नहीं करते हैं। नहाने के बाद ही भोजन बनाया जाता है। छठ पर महिलाएं उपवास करती हैं और घुटने तक गहरे पानी में खड़े होकर सूर्य देव को अघ्र्य देती हैं। कल खरना का व्रत होगा। इस दिन उपवास के बाद शाम को गुड़ से खीर बनाएंगे जिसका भोग सूर्य को लगाया जाएगा। अगले दिन अस्त होते सूर्य को अघ्र्य अर्पित करेंगे। अंतिम दिन उगते हुए सूर्य को अघ्र्य अर्पित किया जाएगा।
36 घंटे का निर्जला उपवास कल से
अखिल भारतीय भोजपुरी समाज रातानाडा के अध्यक्ष मुन्ना भाई ने बताया कि बुधवार शाम खरना पूजा के साथ 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हो जाएगा। गुरुवार को छठ व्रती महिलाएं घरों में आसपास के जलकुंड में छठ पूजन के लिए पार्परिक मंगल गीत गाते हुए अस्ताचलगामी सूर्य को प्रथम अघ्र्य प्रदान करेंगी। शुक्रवार को उदित सूर्य को अघ्र्य देकर व्रत का पारणा किया जाएगा। बता दे कि जोधपुर शहर में रातानाडा, कुड़ी भगतासनी, एयरफोर्स, सैन्य क्षेत्र, मधुबन हाउसिंग बोर्ड, प्रतापनगर सहित शहर के विभिन्न क्षेत्रों में निवासरत बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड व पूर्वोत्तर राज्यों के मूलवासियों की ओर से यह पर्व मनाया जाता है। इन क्षेत्रों में सुबह जलाशय पर सूर्य को अघ्र्य देने में छठ व्रतियों को परेशानी ना हो इसके लिए समूचित इंतजाम किए जा रहे है।
पूजा में विशेष सामग्रियों का इस्तेमाल
छठ पूजा में विशेष सामग्रियों का इस्तेमाल होता है जिनमें टोकरी, लोटा, फल, मिठाई, नरियल, गन्ना और हरी सब्जियां प्रमुख हैं। इसके अलावा दूध-जल के लिए एक ग्लास, शकरकंदी और सुथनी, पान, सुपारी और हल्दी, अदरक का हरा पौधा, बड़ा मीठा नींबू, शरीफा, केला और नाशपाती का इस्तेमाल होता है। साथ ही कई लोग पानी वाला नारियल, मिठाई, गुड़, गेहूं, चावल और आटे से बना ठेकुआ, चावल, सिंदूर, दीपक और शहद भी प्रसाद के तौर पर देते हैं।