छतरपुर:गाजे-बाजे के साथ निकली भगवान परशुराम की शोभायात्रा

छतरपुर, 10 मई (हि.स.)। हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी अक्षय तृतीया के पावन अवसर पर ब्राह्मणों के आराध्य देव भगवान परशुराम के जन्मोत्सव पर गाजे-बाजे के साथ विशाल शोभायात्रा निकाली गई। रामचरित मानस मैदान गल्लामण्डी से शुरू हुई शोभायात्रा मुख्य मार्ग से होते हुए मोटे के महावीर मंदिर प्रांगण पहुंची जहां महाआरती के बाद प्रसाद वितरण किया गया और इसी के साथ शोभायात्रा का विराम हुआ। इस शोभायात्रा में ब्राह्मण समाज सहित सनातन धर्मप्रेमी शामिल हुए।

जानकारी के मुताबिक दोपहर करीब 3 बजे स्थानीय रामचरित मानस मैदान में भगवान परशुराम का अभिषेक किया गया। वैदिक मंत्रोच्चार के साथ विशेष पूजा अर्चना की गई। पूजा अर्चना के बाद भगवान परशुराम स्त्रोत की प्रस्तुति हुई। इसके बाद शोभायात्रा शुरू हुई। धार्मिक गीतों के साथ शोभायात्रा आगे बढ़ी, एक रथ में भगवान परशुराम को विराजमान कराकर शोभायात्रा शुरू कराई गई। धर्मप्रेमियों ने अपने हाथों से शोभायात्रा का रथ खींचा। इस शोभायात्रा में माृतशक्ति ने भी अपना योगदान दिया। रामचरित मानस मैदान से शुरू हुई शोभायात्रा चौक बाजार, कोतवाली, महल तिराहा होते हुए छत्रसाल चौक के बाद मोटे के महावीर मंदिर प्रांगण पहुंची। यहां भगवान परशुराम की महाआरती की गई। इसके बाद प्रसाद वितरण किया गया। बड़ी संख्या में सनातनप्रेमियों ने शोभायात्रा में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। शोभायात्रा के दौरान सुरक्षा व्यवस्था के लिए पर्याप्त पुलिस बल मौजूद रहा।

शोभायात्रा का जगह-जगह हुआ भव्य स्वागत

भगवान परशुराम जन्मोत्सव के पुण्य अवसर पर शहर में निकाली गई शोभायात्रा का जगह-जगह स्वागत हुआ। कहा जाता है कि आज अक्षय तृतीया में दान करने का विशेष पुण्य फल होता है। इसलिए सनातनप्रेमियों ने यह अवसर नहीं गंवाया। गल्लामण्डी के पास से ही शोभायात्रा के स्वागत की बेला शुरू हो गई थी। जगह-जगह स्वागत करते हुए सनातनप्रेमियों ने पुण्य लाभ कमाया। वहीं हिन्दू उत्सव समिति ने भी शोभायात्रा का स्वागत किया।

महापुरूषों की सजाई गई झांकी

विप्र समाज के गौरव महापुरूषों की झांकियां सजाई गईं। वहीं भगवान भोलेनाथ और श्रीराम सीता की सजीव झांकियां भी शोभायात्रा में शामिल रहीं। आदिपुरूष शंकराचार्य, तात्या टोपे, बाजीराव पेशवा, चाणक्य, महारानी लक्ष्मीबाई, मंगल पाण्डेय जैसे विप्र समाज के महापुरूषों की झांकियां निकालकर लोगों को संदेश दिया गया कि समाज के ऐसे महापुरूषों ने भी सनातन धर्म की अलख जगाने में अपना योगदान दिया है।Ê