छतरपुर:अल्पविराम लेकर पटवारियों ने बताई दिल की बात

छतरपुर, 2 अप्रैल (हि.स.)। राज्य आनंद संस्थान द्वारा आयोजित अल्पविराम कार्यक्रम में जिले के ट्रेनी पटवारियों ने अपने दिल की बात बताई। उन्होंने कहा कि अभी तो यही लगता है कि पैसा होगा तो समाज में सम्मान होगा, पर खुद में जांच परख के बाद उनके अंदर परिमार्जन की प्रक्रिया तेज हुई है।

अधीक्षक भू अभिलेख आदित्य सोनकिया की उपस्थिति में आनंद विभाग की ओर से मास्टर ट्रेनर लखनलाल असाटी एवं आशा असाटी ने शासकीय हासे स्कूल क्रमांक 2 में उपस्थित 70 पटवारियों को अल्पविराम कराया, विषय प्रशिक्षक ओपी मिश्रा एवं आरएम सिंह भी उपस्थित थे।

आशा असाटी ने आनंद की ओर सत्र के माध्यम से व्यक्तिगत जीवन में आनंद की स्थिति और उसके घटने-बढऩे के कारण की जांच परख करने को कहा। पटवारियों द्वारा अपने विचार साझा किए गए, सृष्टि पटेल,रवीश कुमार त्रिपाठी, मुलायम सिंह, अंजली वर्मा, अनुभूति नामदेव, कमलेश पटेल, मानसी तिवारी, अमित पटेल, गिरवर यादव आदि ने अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने कहा कि कार्य के बेहतर संपादन, संबंधों के निर्वहन, दूसरों की मदद, परिवार का साथ आनंद बढ़ाता है पर समाज में जब भी कुछ गलत घटित होता है तो आनंद भी घट जाता है। समाज में भय का सर्वाधिक कारण मानव का अमानवीय व्यवहार है।

लखन लाल असाटी द्वारा उन्हें मानवीय मूल्यों की जानकारी दी गई इसके बाद इस प्रश्न पर अल्पविराम कराया गया कि जैसा मैं हूं यदि सब वैसे हो जाएं तो इस दुनिया की तस्वीर क्या होगी। सभी का कहना यही था यह दुनिया बहुत भावुक होगी, ईमानदार होगी, अच्छी होगी। लेकिन जब प्रश्न किया गया कि हम सभी अपने आप को अच्छा मान रहे हैं तो फिर गड़बड़ कहां है? अमानवीय व्यवहार का भय क्यों है? खुद में गहराई से देखने के बाद प्रतिभागियों ने स्वीकार किया कि हां हमारा दुनिया को दिखाने का चेहरा दूसरा है। लखन लाल असाटी ने अपने व्यक्तिगत जीवन से जुड़ी उन प्रवृत्तियों का खुलासा किया जो ठीक नहीं थी पर उस ओर उनका ध्यान अल्पविराम के पहले कभी गया नहीं था। बाहरी मुखौटे को उतारने पर उन्हें वस्तु स्थिति का ज्ञान हुआ। प्रतिभागियों ने कहा कि उनके अंदर अच्छी और बुरी दोनों प्रवृत्तियां हैं अच्छी प्रवृत्ति को प्रमोट करने का मार्ग क्या होगा, प्रतिभागियों ने बहुत सारी जिज्ञासाओं को सामने रखा।

अधीक्षक भू अभिलेख आदित्य सोनकिया ने कहा कि अल्पविराम का नियमित आयोजन किया जाता रहेगा। उन्होंने कहा कि सरकार और उसके विभाग जो भी कार्य कर रहे हैं उसका अल्टीमेट परपज तो हैप्पीनेस ही है। भूटान देश ने पहली बार संसार का ध्यान इस ओर आकर्षित किया था। खुद को समझने, तनाव प्रबंधन, कार्यों के बेहतर निष्पादन और आनंदपूर्वक रहने के लिए आनंद विभाग का गठन और उसके कार्यक्रम अत्यंत प्रभावी हैं जिसका लाभ सभी को लेना चाहिए।