छगन भुजबल का एनसीपी नेतृत्व पर निशाना: ‘क्या मैं खिलौना हूं?’

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कैबिनेट में जगह न मिलने से नाराज छगन भुजबल

एनसीपी के वरिष्ठ नेता छगन भुजबल महाराष्ट्र कैबिनेट में शामिल न किए जाने से बेहद नाराज हैं। उन्होंने अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए अजित पवार पर सीधा निशाना साधा और कहा, “क्या मैं उनके हाथों का खिलौना हूं?” भुजबल ने आरोप लगाया कि पार्टी के फैसले बार-बार उनके खिलाफ जाते रहे हैं और उन्हें राज्यसभा सीट की पेशकश भी तब की गई, जब वह इसकी आवश्यकता नहीं समझते।

राज्यसभा सीट की पेशकश पर भुजबल की नाराजगी

भुजबल ने स्पष्ट किया कि वह इस साल की शुरुआत में राज्यसभा जाना चाहते थे, लेकिन उस समय उनकी बात को नजरअंदाज कर दिया गया। उन्होंने कहा,
“मुझे आठ दिन पहले राज्यसभा सीट की पेशकश की गई थी, जिसे मैंने अस्वीकार कर दिया। जब मैं पहले यह सीट चाहता था, तब मेरी बात नहीं सुनी गई। अब इसे देकर क्या साबित किया जा रहा है?”

उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा, “क्या आपको लगता है कि जब भी आप मुझे कहेंगे, मैं खड़ा हो जाऊंगा और चुनाव लड़ूंगा? मेरे निर्वाचन क्षेत्र के लोगों की भावनाओं का क्या होगा?”

देवेंद्र फडणवीस चाहते थे भुजबल कैबिनेट में हों

भुजबल ने कहा कि भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस उन्हें कैबिनेट में देखना चाहते थे। हालांकि, एनसीपी में फैसले अजित पवार लेते हैं और उन्हीं के निर्णय से चीजें तय होती हैं। भुजबल ने कहा कि अजित पवार पार्टी के लिए वैसे ही निर्णय लेते हैं जैसे भाजपा के लिए फडणवीस और शिवसेना के लिए एकनाथ शिंदे

अपमानित महसूस कर रहा हूं’ – भुजबल

अपनी उपेक्षा पर बात करते हुए भुजबल ने कहा, “मैं निराश नहीं हूं, लेकिन मेरे साथ जो बर्ताव हुआ है, उससे मैं अपमानित महसूस कर रहा हूं।” उन्होंने यह भी कहा कि वह बुधवार को एनसीपी कार्यकर्ताओं और येवला निर्वाचन क्षेत्र के लोगों के साथ चर्चा करने के बाद आगे का निर्णय लेंगे।

लोकसभा चुनाव में भी वादाखिलाफी का आरोप

भुजबल ने आरोप लगाया कि लोकसभा चुनाव के दौरान भी उनके साथ वादाखिलाफी की गई। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के आग्रह पर उन्हें नासिक से लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए कहा गया था। उन्होंने चुनाव की तैयारी में एक महीने से अधिक समय लगाया और विभिन्न वर्गों से समर्थन भी मिला।

हालांकि, आखिरी समय में उनके नाम की घोषणा नहीं की गई और उन्हें चुनाव से हटना पड़ा। उन्होंने बताया कि बाद में उन्होंने राज्यसभा सीट के लिए इच्छा जताई थी, लेकिन वहां भी सुनेत्रा पवार और नितिन पाटिल के नामों पर विचार किया गया।

‘अब राज्यसभा सीट क्यों?’ भुजबल का सवाल

भुजबल ने कहा कि जब उन्होंने राज्यसभा सीट की मांग की थी, तो उन्हें यह कहकर मना कर दिया गया था कि उनकी महाराष्ट्र में जरूरत है। लेकिन अब विधानसभा चुनाव जीतने के बाद, उन्हें राज्यसभा जाने के लिए कहा जा रहा है।

उन्होंने कहा, “अब मुझे बताया जा रहा है कि नितिन पाटिल से इस्तीफा लेकर मुझे राज्यसभा भेजा जाएगा। जब मैं यह अवसर चाहता था, तब मुझे इससे वंचित रखा गया। अब मैं अपने मतदाताओं को क्या जवाब दूं? जिन्होंने मेरे लिए संघर्ष किया, उनसे मैं इस्तीफा देने के लिए कैसे कह सकता हूं?”

कैबिनेट विस्तार में भुजबल को नहीं मिली जगह

देवेंद्र फडणवीस ने हाल ही में नागपुर में अपनी कैबिनेट का विस्तार किया, जिसमें 39 नए सदस्यों को शामिल किया गया। इसमें भाजपा के 19, एकनाथ शिंदे की शिवसेना के 11 और अजित पवार की एनसीपी के 9 विधायक शामिल थे।

छगन भुजबल उन 10 मंत्रियों में शामिल थे, जिन्हें नई मंत्रिपरिषद से बाहर कर दिया गया। भुजबल, जो पूर्व खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री थे, ने अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि उनके साथ गलत व्यवहार किया गया है।

भविष्य की रणनीति पर करेंगे मंथन

भुजबल ने कहा कि वह जल्द ही अपने कार्यकर्ताओं और समर्थकों से सलाह-मशविरा करेंगे। उन्होंने संकेत दिया कि वह अपने राजनीतिक भविष्य को लेकर कोई बड़ा फैसला ले सकते हैं।