राजस्थान की अंता सीट पर उपचुनाव की बिसात, BJP-कांग्रेस में शह और मात का खेल शुरू
News India Live, Digital Desk: राजस्थान में विधानसभा चुनाव खत्म होने के बाद भी सियासी पारा चढ़ा हुआ है। वजह है बारां जिले की अंता विधानसभा सीट पर होने वाला उपचुनाव। यह उपचुनाव सिर्फ एक सीट पर जीत-हार का फैसला नहीं करेगा, बल्कि यह प्रदेश की भजनलाल शर्मा सरकार के शुरुआती कामकाज का लिटमस टेस्ट भी साबित होगा। कांग्रेस और बीजेपी, दोनों ही दलों ने इस एक सीट को अपनी प्रतिष्ठा का सवाल बना लिया है और चुनावी बिसात पर अपनी-अपनी गोटियां सजानी शुरू कर दी हैं।
क्यों हो रहा है अंता में उपचुनाव?
अंता सीट पर उपचुनाव की नौबत इसलिए आई क्योंकि यहां से जीते बीजेपी विधायक कंवर लाल मीणा ने लोकसभा चुनाव में भी जीत हासिल कर ली। नियमों के मुताबिक, कोई भी व्यक्ति एक साथ विधायक और सांसद नहीं रह सकता, इसलिए कंवर लाल मीणा ने विधायक पद से इस्तीफा दे दिया, जिससे यह सीट खाली हो गई।
BJP: जीत की लय बरकरार रखने की चुनौती
बीजेपी के लिए यह चुनाव कई मायनों में अहम है।
- सरकार का पहला टेस्ट: भजनलाल सरकार के गठन के बाद यह पहला बड़ा चुनाव है। इस सीट पर जीत सरकार के प्रति जनता के विश्वास का संकेत देगी।
- किसे मिलेगा टिकट?: बीजेपी के सामने सबसे बड़ी चुनौती उम्मीदवार का चयन है। पूर्व विधायक कंवर लाल मीणा अपने बेटे को टिकट दिलाना चाहते हैं, लेकिन पार्टी में कई और मजबूत दावेदार भी हैं। पार्टी किसी नए चेहरे पर दांव लगाती है या परिवारवाद को तवज्जो देती है, यह देखना दिलचस्प होगा।
- रणनीति: बीजेपी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे और भजनलाल सरकार के शुरुआती कामों को आधार बनाकर चुनाव लड़ेगी। संगठन स्तर पर पन्ना प्रमुखों और बूथ मैनेजमेंट पर खास जोर दिया जा रहा है।
कांग्रेस: खोई जमीन वापस पाने का मौका
लगातार हार का सामना कर रही कांग्रेस के लिए यह उपचुनाव एक संजीवनी की तरह है।
- सरकार को घेरने का मौका: कांग्रेस इस चुनाव को भजनलाल सरकार की विफलताओं, जैसे- पेपर लीक, महंगाई और कानून-व्यवस्था के मुद्दे पर लड़ेगी।
- प्रमोद जैन भाया पर नजरें: इस सीट पर पूर्व मंत्री और कांग्रेस के कद्दावर नेता प्रमोद जैन भाया का काफी प्रभाव है। उम्मीदवार चयन में उनकी राय अहम होगी। कांग्रेस किसी सहानुभूति कार्ड या स्थानीय समीकरणों पर दांव खेल सकती है।
- रणनीति: कांग्रेस के बड़े नेता जैसे गोविंद सिंह डोटासरा और सचिन पायलट यहां जोर-शोर से प्रचार करेंगे और सरकार के खिलाफ माहौल बनाने की कोशिश करेंगे।
अंता का यह उपचुनाव राजस्थान की आने वाली राजनीति की दिशा तय कर सकता है। बीजेपी अपनी जीत की लय को कायम रखना चाहेगी, तो वहीं कांग्रेस इस एक सीट को जीतकर यह संदेश देने की कोशिश करेगी कि प्रदेश में उसकी पकड़ अभी कमजोर नहीं हुई है। आने वाले दिनों में अंता की सियासी जंग और भी दिलचस्प होने वाली है।
--Advertisement--