छह माह में तय होने वाला चेक अनादर केस 19 साल तक लम्बित

प्रयागराज, 03 जून (हि.स.)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 19 साल से विचाराधीन चेक अनादर केस को लेकर जिला जज हापुड़ से रिपोर्ट मांगी है और डीजीपी द्वारा पेश रिपोर्ट को हलफनामे के मार्फत दाखिल करने का निर्देश दिया है।

कोर्ट ने अभियुक्त को अदालत में हाजिर होकर जमानत प्राप्त करने के लिए तीन हफ्ते में अर्जी दाखिल करने तक उसके खिलाफ उत्पीड़नात्मक कार्रवाई पर रोक लगा दी है।

कोर्ट ने याची से कहा है कि वह अदालत में समर्पण का हलफनामा दाखिल करें तो उसके खिलाफ आपराधिक केस को रद्द करने की याचिका की सुनवाई की जायेगी। याचिका की अगली सुनवाई 8 जुलाई नियत की गई है। यह आदेश न्यायमूर्ति अरुण कुमार सिंह देशवाल ने गुंजन गुप्ता की धारा 482 के तहत दाखिल याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है।

मालूम हो कि कोर्ट ने डीजीपी से जानकारी मांगी थी कि कोर्ट के सम्मन, जमानती व गैर जमानती वारंट के बावजूद अभियुक्त को क्यों पेश नहीं किया गया। जिस पर डीजीपी ने रिपोर्ट पेश की और बताया कि मुजफ्फरनगर में 2009 से 2022 तक कुल 13 एसपी तैनात रहे हैं। सभी से सफाई मांगी गई है। रिपोर्ट कुछ समय बाद पेश की जायेगी। हालांकि प्रारम्भिक जांच से पता चला है कि अदालत से जारी सम्मन, जमानती व गैर जमानती वारंट जिला कार्यालय में प्राप्त नहीं हुआ है। मोहर्रिर के खिलाफ जांच चल रही है।

कोर्ट ने जिला जज हापुड़ से भी रिपोर्ट मांगी थी। कहा था कि जो केस छह माह में तय होना चाहिए वह 19 साल से लम्बित क्यों है। उन्होंने रिपोर्ट में बताया कि केस की मूल पत्रावली एससी-एसटी विशेष अदालत ने तलब कर ली थी जो 29 फरवरी 24 को वापस आई है। स्केलेटन फाइल थी जिस पर लगातार सम्मन व वारंट जारी किए गए।

कोर्ट ने इस सफाई को पर्याप्त नहीं माना और जिला जज हापुड़ से फिर से मजिस्ट्रेट से सफाई लेकर रिपोर्ट देने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा कि विशेष अदालत पत्रावली 15 साल तक अपने पास रखे रही। डीजीपी रिपोर्ट में कहा गया है कि सम्मन वारंट एसपी मुजफ्फरनगर कार्यालय नहीं पहुंचा तो क्यों नहीं भेजा गया। कोर्ट ने याची की भी खिंचाई की और कहा कि वह भी 19 साल तक अदालत में हाजिर नहीं हो सका और केस कार्यवाही रद्द कराने हाईकोर्ट आ गया। इस पर कोर्ट ने उसे अदालत में पेश होकर जमानत प्राप्त करने का निर्देश दिया है।