आजकल डिजिटल ट्रांजैक्शन का जमाना है। UPI, Google Pay और PhonePe जैसे प्लेटफॉर्म्स के जरिए घर बैठे पैसे ट्रांसफर करना आसान हो गया है। लेकिन इसके बावजूद, कई लोग भुगतान के लिए चेक का इस्तेमाल करना ज्यादा सुरक्षित मानते हैं। हालांकि, चेक से लेन-देन करते वक्त बहुत सावधानी बरतनी चाहिए, क्योंकि एक छोटी सी गलती आपके चेक को बाउंस कर सकती है, जिससे आपको कानूनी और वित्तीय समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
इस लेख में हम चेक बाउंस से संबंधित सभी महत्वपूर्ण नियमों, पेनल्टी, और कानूनी परिणामों के बारे में चर्चा करेंगे।
चेक बाउंस क्या है?
जब कोई बैंक आपके चेक को स्वीकार नहीं करता और भुगतान से मना कर देता है, तो इसे चेक बाउंस कहते हैं। इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं, लेकिन सबसे आम कारण है खाते में पर्याप्त धनराशि का न होना। इसके अलावा, गलत हस्ताक्षर, चेक की वैधता समाप्त होना, या चेक का गलत तरीके से भरा जाना भी इसके कारण हो सकते हैं।
चेक बाउंस होने पर चेक जारी करने वाले व्यक्ति को इसकी जानकारी दी जाती है। यदि चेक धारक को एक महीने के भीतर भुगतान नहीं किया जाता, तो वह कानूनी नोटिस भेज सकता है।
चेक बाउंस के कारण
चेक बाउंस होने के पीछे कई कारण हो सकते हैं:
- खाते में पर्याप्त धनराशि का अभाव: यह चेक बाउंस का सबसे सामान्य कारण है।
- गलत हस्ताक्षर: अगर चेक पर किए गए हस्ताक्षर बैंक रिकॉर्ड में मौजूद हस्ताक्षर से मेल नहीं खाते।
- चेक की वैधता समाप्त होना: सामान्यत: चेक जारी होने के तीन महीने बाद वह वैध नहीं रहता।
- गलत तरीके से भरा गया चेक: जैसे राशि में गड़बड़ी या अधूरी जानकारी।
- अप्रमाणित चेक: किसी तकनीकी खामी के कारण बैंक चेक को अस्वीकार कर सकता है।
चेक बाउंस पर पेनल्टी
चेक बाउंस होने पर व्यक्ति को पेनल्टी का भुगतान करना पड़ता है। यह पेनल्टी हर बैंक में अलग-अलग हो सकती है।
- सामान्य पेनल्टी: ₹350 से ₹750 तक।
- बार-बार चेक बाउंस होने पर: पेनल्टी की राशि बढ़ाई जा सकती है।
- हस्ताक्षर की भिन्नता पर: लगभग ₹50 की पेनल्टी लगाई जा सकती है।
ध्यान दें: यदि एक महीने में एक से अधिक बार चेक बाउंस होता है, तो बैंक की ओर से अतिरिक्त शुल्क लगाया जा सकता है।
कानूनी परिणाम: चेक बाउंस के मामले में सजा और जुर्माना
भारत में चेक बाउंस को भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 138 के तहत एक दंडनीय अपराध माना जाता है। इसके तहत चेक धारक को कानूनी कार्रवाई करने का पूरा अधिकार है।
धारा 138 के प्रावधान:
- जेल की सजा: अधिकतम दो साल की सजा हो सकती है।
- जुर्माना: चेक की राशि से अधिक जुर्माना लगाया जा सकता है।
- नोटिस और भुगतान का समय:
- चेक बाउंस होने पर, चेक धारक को चेक जारी करने वाले व्यक्ति को कानूनी नोटिस भेजना होगा।
- नोटिस मिलने के बाद, चेक जारी करने वाले को 15 दिनों के भीतर भुगतान करना होगा।
यदि भुगतान नहीं किया जाता, तो चेक धारक अदालत में मामला दर्ज कर सकता है।
कैसे बचें चेक बाउंस से?
- खाते में पर्याप्त धनराशि रखें: सुनिश्चित करें कि चेक जारी करने से पहले खाते में पर्याप्त पैसा हो।
- सही हस्ताक्षर करें: बैंक में दिए गए सैंपल हस्ताक्षर से मेल खाते हस्ताक्षर करें।
- चेक की वैधता जांचें: सुनिश्चित करें कि चेक की तिथि और अन्य विवरण सही हैं।
- गलतियों से बचें: चेक भरते समय कोई त्रुटि न हो।
चेक बाउंस होने पर क्या करें?
अगर आपका चेक बाउंस हो गया है, तो निम्नलिखित कदम उठाएं:
- तुरंत जानकारी प्राप्त करें: अपने बैंक से चेक बाउंस का कारण जानें।
- मुद्दे को सुलझाएं: यदि संभव हो, तो चेक धारक को तुरंत भुगतान करें।
- कानूनी नोटिस का जवाब दें: यदि चेक धारक नोटिस भेजता है, तो इसका उत्तर समय पर दें।