वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा 2023 के बजट में डेट म्यूचुअल फंड्स के टैक्स नियमों में बड़े बदलाव किए गए, जिसने निवेशकों की दिलचस्पी को कम कर दिया। अब यह अटकलें लगाई जा रही हैं कि आगामी बजट में सरकार इन नियमों में सुधार कर सकती है। टैक्स विशेषज्ञों और वित्तीय सलाहकारों का मानना है कि अगर डेट फंड्स के टैक्स नियमों में परिवर्तन होते हैं, तो इन फंड्स में निवेश का आकर्षण फिर से बढ़ सकता है।
बजट 2023 में डेट फंड्स के टैक्स नियमों में बदलाव
2023 के यूनियन बजट में डेट म्यूचुअल फंड्स के लिए कैपिटल गेंस टैक्स से जुड़े कई नियम बदले गए।
- इंडेक्सेशन बेनेफिट खत्म हुआ: पहले, डेट फंड्स के लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेंस पर इंडेक्सेशन का लाभ मिलता था, जिससे टैक्स का बोझ कम हो जाता था।
- नई व्यवस्था: अब डेट फंड्स से हुए लाभ को निवेशक की व्यक्तिगत आय में जोड़ दिया जाता है।
- लॉन्ग और शॉर्ट टर्म का फर्क खत्म: पहले निवेश अवधि के आधार पर कैपिटल गेंस को शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म में बांटा जाता था, लेकिन नए नियम में यह अंतर समाप्त कर दिया गया।
नए नियम 1 अप्रैल 2023 से लागू हुए और इनका सीधा असर निवेशकों की प्राथमिकताओं पर पड़ा।
अभी डेट फंड्स पर टैक्स कैसे लगता है?
डेट फंड्स पर टैक्स लगाने का तरीका अब सामान्य आयकर की दरों पर आधारित है:
- निवेश अवधि अप्रभावी: निवेशक चाहे फंड को एक साल पहले बेचे या कई साल बाद, टैक्स स्लैब में कोई राहत नहीं मिलती।
- व्यक्तिगत टैक्स स्लैब लागू: फंड से होने वाले मुनाफे को निवेशक की कुल आय में जोड़ा जाता है, और उसी के अनुसार टैक्स लगाया जाता है।
- ऊंची टैक्स दर: उच्च आय वर्ग के निवेशकों के लिए यह नियम असुविधाजनक हो गया है, क्योंकि उन्हें 30% तक की टैक्स दर चुकानी पड़ती है।
नियमों में बदलाव की जरूरत क्यों है?
1. दीर्घकालिक निवेश को बढ़ावा
सरकार आमतौर पर लंबी अवधि के निवेश को प्रोत्साहित करती है। लेकिन डेट फंड्स पर मौजूदा नियम इसके विपरीत हैं।
- लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेंस पर इंडेक्सेशन लाभ खत्म होने से दीर्घकालिक निवेशकों को नुकसान हुआ है।
- विशेषज्ञों का सुझाव है कि लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेंस टैक्स को 12.5% पर तय किया जाए, जैसा अन्य संपत्तियों पर लागू होता है।
2. डेट फंड्स के फायदे
डेट फंड्स को अक्सर स्थिर रिटर्न और जोखिम प्रबंधन के लिए एक सुरक्षित विकल्प माना जाता है।
- टैक्स नियमों में सुधार से निवेशक अपने पोर्टफोलियो का एक हिस्सा डेट फंड्स में रखने के लिए प्रोत्साहित होंगे।
3. निवेश का पुनरुत्थान
अगर टैक्स नियम सरल और प्रोत्साहनकारी बनाए जाते हैं, तो ज्यादा आय वर्ग के निवेशक भी डेट फंड्स की ओर रुख कर सकते हैं।
बजट 2023 के बाद डेट फंड्स पर प्रभाव
बजट 2023 के नियमों के कारण डेट म्यूचुअल फंड्स की लोकप्रियता में गिरावट आई।
- निवेशकों की चिंता: नए नियमों से हाई टैक्स स्लैब वाले निवेशकों के लिए डेट फंड्स कम आकर्षक हो गए।
- विकल्पों का रुख: कई निवेशकों ने डेट फंड्स की जगह अन्य निवेश विकल्पों, जैसे इक्विटी फंड्स और बैंक एफडी, को प्राथमिकता दी।
डेट फंड्स में निवेश बढ़ाने के लिए संभावित बदलाव
1. इंडेक्सेशन लाभ की वापसी
अगर इंडेक्सेशन का लाभ फिर से शुरू किया जाए, तो लॉन्ग-टर्म निवेशक डेट फंड्स की ओर आकर्षित होंगे।
2. लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेंस टैक्स में कटौती
अन्य संपत्तियों की तरह डेट फंड्स पर भी लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेंस टैक्स को 12.5% करने की मांग उठ रही है।
3. स्पष्ट नियम
निवेशकों के लिए टैक्स नियमों को सरल और समझने में आसान बनाना जरूरी है।
डेट फंड्स में निवेश पर टैक्स का असर
वर्तमान स्थिति:
- नई टैक्स व्यवस्था के तहत, ₹15 लाख से अधिक वार्षिक आय पर 30% टैक्स लगता है।
- पुराने टैक्स स्लैब में भी ₹10 लाख से अधिक आय पर 30% टैक्स लागू है।
संभावित लाभ:
- नियमों में बदलाव से उच्च आय वर्ग के निवेशक भी डेट फंड्स को पोर्टफोलियो का हिस्सा बना सकते हैं।
- टैक्स स्लैब के अनुसार लाभ बढ़ने से निवेशकों की संख्या में वृद्धि होगी।
डेट फंड्स के भविष्य पर नजर
अगर वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण आगामी बजट में डेट म्यूचुअल फंड्स के टैक्स नियमों में सुधार करती हैं, तो यह बाजार के लिए सकारात्मक कदम होगा।
- लंबी अवधि के निवेश को बढ़ावा मिलेगा।
- फंड मैनेजमेंट इंडस्ट्री में नई ऊर्जा आएगी।
- निवेशकों को अपने पोर्टफोलियो में स्थिरता बनाए रखने का अवसर मिलेगा।