भारत में मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) की नियुक्ति प्रक्रिया में बदलाव, पारदर्शिता और निष्पक्षता को लेकर बढ़ी चर्चा

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भारत में मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) की नियुक्ति प्रक्रिया में 2023 में एक बड़ा बदलाव किया गया है। पहले परंपरा के तहत, सबसे वरिष्ठ चुनाव आयुक्त को मुख्य चुनाव आयुक्त नियुक्त किया जाता था। लेकिन अब “मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्तों (नियुक्ति, सेवा की शर्तें और पद का कार्यकाल) अधिनियम, 2023” के तहत यह प्रक्रिया अधिक विस्तृत और पारदर्शी बनाई गई है।

वर्तमान स्थिति और संभावित उम्मीदवार

वर्तमान मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार 18 फरवरी को अपना कार्यकाल पूरा करेंगे। चुनाव आयोग में CEC के साथ दो अन्य चुनाव आयुक्त, ग्यानेश कुमार और सुखबीर सिंह संधू, शामिल हैं।

  • ग्यानेश कुमार को संभावित उत्तराधिकारी माना जा रहा है।
  • हालांकि, नए कानून के तहत अब चयन समिति के सामने पांच नामों का पैनल रखा जाएगा, जिसमें से किसी एक को चुना जाएगा।
  • चयन समिति के पास यह अधिकार भी है कि वह चुनाव आयोग के बाहर के किसी योग्य व्यक्ति को भी CEC के रूप में नियुक्त कर सकती है।

नए कानून के तहत चयन प्रक्रिया

2023 में बनाए गए नए कानून के तहत, CEC और अन्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति की प्रक्रिया को तीन चरणों में बांटा गया है:

1. सर्च कमेटी का गठन:

  • विधि मंत्रालय एक सर्च कमेटी बनाएगा।
  • इस कमेटी के अध्यक्ष विधि मंत्री होंगे।
  • इसमें भारत सरकार के सचिव स्तर के दो अधिकारी शामिल होंगे।
  • यह कमेटी संभावित उम्मीदवारों की सूची तैयार करेगी।

2. चयन समिति का गठन:

  • सर्च कमेटी द्वारा तैयार पैनल को चयन समिति के सामने रखा जाएगा।
  • चयन समिति में शामिल होंगे:
    • प्रधानमंत्री
    • एक केंद्रीय मंत्री
    • लोकसभा में विपक्ष के नेता

3. अंतिम चयन:

  • चयन समिति पैनल में से किसी भी उम्मीदवार को चुन सकती है।
  • इसके अलावा, चुनाव आयोग के बाहर के किसी व्यक्ति को भी चयन समिति विचार में ला सकती है।

चुनाव आयोग की पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने का प्रयास

इस नए बदलाव का उद्देश्य चुनाव आयोग की पारदर्शिता और निष्पक्षता को बनाए रखना है।

  • विपक्षी दलों द्वारा आयोग की स्वतंत्रता पर सवाल उठाए जाने के बाद यह कदम उठाया गया।
  • सरकार का कहना है कि यह प्रक्रिया चयन प्रक्रिया को अधिक व्यापक और पारदर्शी बनाएगी।

विवाद और चिंताएं

नए कानून को लेकर पूर्व CEC ओपी रावत सहित कई अधिकारियों ने चिंता व्यक्त की है।

  • उनका कहना है कि यह बदलाव चुनाव आयोग की विश्वसनीयता और निर्णय लेने की स्वतंत्रता को कमजोर कर सकता है।
  • यदि सरकार बदलने के साथ चयन प्रक्रिया में बदलाव होता है, तो इससे आयोग की स्वतंत्रता प्रभावित हो सकती है।

सुप्रीम कोर्ट की सिफारिशें और बदलाव

  • मार्च 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि CEC और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा एक चयन समिति के माध्यम से की जाए।
  • उस समय चयन समिति में शामिल थे:
    • प्रधानमंत्री
    • लोकसभा में विपक्ष के नेता
    • भारत के मुख्य न्यायाधीश

लेकिन नए कानून के तहत, मुख्य न्यायाधीश को चयन समिति से हटा दिया गया है।

सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दाखिल

मुख्य न्यायाधीश को चयन समिति से हटाने के इस बदलाव को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दाखिल की गई हैं।

  • इन याचिकाओं पर फरवरी 2024 में सुनवाई होगी।
  • सुप्रीम कोर्ट की सिफारिशों के अनुसार, CEC और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति प्रक्रिया में सरकार के सीधे हस्तक्षेप को सीमित करने की जरूरत बताई गई थी।

नए बदलावों के संभावित प्रभाव

  1. पारदर्शिता और निष्पक्षता:
    • सर्च कमेटी और चयन समिति की भूमिका से प्रक्रिया अधिक संरचित और पारदर्शी हुई है।
  2. चुनाव आयोग की स्वतंत्रता:
    • आलोचकों का मानना है कि सरकार के पास अधिक अधिकार होने से आयोग की स्वतंत्रता पर सवाल उठ सकते हैं।
  3. राजनीतिक प्रभाव:
    • विपक्षी दलों का आरोप है कि यह बदलाव सरकार को अपने मनमुताबिक नियुक्तियां करने का अवसर प्रदान कर सकता है।