Chanakya Niti for Money : कंगाल होने से पहले किस्मत देती है ये 5 इशारे
News India Live, Digital Desk: क्या कभी आपको ऐसा महसूस हुआ है कि मेहनत तो आप खूब कर रहे हैं, लेकिन पैसा है कि हाथ में टिकता ही नहीं? या फिर अचानक घर में बेवजह खर्चे बढ़ने लगे हैं? आचार्य चाणक्य, जिन्हें दुनिया के सबसे महान अर्थशास्त्री और रणनीतिकार के रूप में जाना जाता है, उन्होंने हजारों साल पहले ही हमें चेता दिया था।
चाणक्य नीति कहती है कि बुरा वक्त या 'गरीबी' आने से पहले प्रकृति हमें कुछ संकेत देती है। ये इशारे इतने बारीक होते हैं कि अक्सर हम इन्हें मामूली समझकर नज़रअंदाज़ कर देते हैं। लेकिन यही वो गलतियां हैं जो भरे-पूरे घर को आर्थिक तंगी की ओर धकेल देती हैं।
चलिए, आज बहुत ही आसान भाषा में समझते हैं कि चाणक्य ने किन संकेतों (Signs of Financial Loss) को 'धन के लिए खतरा' बताया है।
1. तुलसी का पौधा अचानक सूख जाना (Drying of Tulsi Plant)
हमारे भारतीय घरों में तुलसी सिर्फ़ एक पौधा नहीं, बल्कि लक्ष्मी का रूप मानी जाती है। चाणक्य कहते हैं कि अगर घर में लगा हुआ हरा-भरा तुलसी का पौधा अचानक, बिना किसी वजह के सूखने लगे, तो संभल जाइए। यह एक सीधा इशारा है कि आने वाले दिनों में आपको कोई आर्थिक झटका लग सकता है या मां लक्ष्मी आपसे नाराज़ हैं। अगर ऐसा हो, तो पौधे की देखरेख बढ़ा दें और घर के माहौल पर गौर करें।
2. घर में क्लेश का बसेरा होना (Constant Family Fights)
आपने सुना होगा—"जिस घर में शांति, वहां लक्ष्मी।" चाणक्य साफ-साफ कहते हैं कि अगर आपके घर में छोटी-छोटी बातों पर 'महाभारत' छिड़ी रहती है, लोग बिना बात के एक-दूसरे पर चीखते-चिल्लाते हैं, तो समझ लीजिए बुरा वक्त दरवाज़े पर है। कलेश और नकारात्मक ऊर्जा (Negative Energy) धन की देवी को घर से बाहर कर देती है। पैसा वहीं टिकता है जहां प्यार और सम्मान हो।
3. शीशे का बार-बार टूटना (Breaking of Glass)
कभी-कभी हाथ से छूटकर ग्लास या आइना टूट जाना आम बात है।लेकिन, अगर आपके घर में बार-बार शीशे टूट रहे हैं या खिड़कियों के कांच चटक रहे हैं, तो इसे इग्नोर न करें चाणक्य नीति के अनुसार, यह दरिद्रता के आगमन का सूचक है। यह संकेत देता है कि आप पर कोई आर्थिक बोझ पड़ने वाला है ऐसे टूटे शीशे को तुरंत घर से हटा देना ही समझदारी है।
4. बड़ों का अपमान (Disrespecting Elders)
यह बात थोड़ी कड़वी लग सकती है, लेकिन सौ फीसदी सच है।आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जिन घरों में बुजुर्गों का आदर नहीं होता, जहां उन्हें बोझ समझा जाता है, वहां बरकत कभी नहीं रह सकती बड़ों की आह और अपमान आपके संचित धन (Savings) को भी ख़त्म कर सकती है।उनकी इज़्ज़त करना ही असल में अमीरी की पहली सीढ़ी है।
5. पूजा-पाठ का गायब होना (Absence of Spirituality)
जिन घरों में सुबह-शाम दीया-बाती बंद हो जाती है या ईश्वर को याद करना लोग छोड़ देते हैं, वहां से सुख-समृद्धि अपना रास्ता बदल लेती है इसका मतलब यह नहीं कि आप दिनभर घंटी बजाते रहें, लेकिन मन की शुद्धता और सकारात्मक माहौल का खत्म होना 'आर्थिक विनाश' का कारण बनता है।
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