Cervical cancer : महिलाओं को जागरुक होना क्यों है ज़रूरी गर्भाशय ग्रीवा कैंसर से बचाव

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Newsindia live,Digital Desk: गर्भाशय ग्रीवा कैंसर एक ऐसी गंभीर बीमारी है जिसे काफी हद तक रोका जा सकता है खासकर समय रहते आवश्यक उपाय करने पर। इसके बावजूद भारत में इसकी स्थिति चिंताजनक बनी हुई है, जहाँ महिला स्वास्थ्य को लेकर अक्सर लापरवाही देखी जाती है। यह एक ऐसी चुनौती है जिस पर गंभीरता से ध्यान देने की आवश्यकता है।

इस बीमारी से बचाव के मुख्य साधन उपलब्ध हैं। इनमें सबसे महत्वपूर्ण है ह्यूमन पेपिलोमा वायरस एचपीवी टीका। यह टीका उस वायरस को फैलने से रोकता है जो अधिकांश गर्भाशय ग्रीवा कैंसर का कारण बनता है। समय रहते यह टीका लगवाकर महिलाएं इस रोग के जोखिम को बहुत कम कर सकती हैं। दूसरा अहम उपाय है नियमित जांच जिसे पैप स्मीयर स्क्रीनिंग भी कहा जाता है। यह जांच प्रारंभिक चरण में ही कोशिकाओं में होने वाले बदलावों का पता लगा लेती है जिससे कैंसर बनने से पहले ही उसका इलाज संभव हो जाता है।

फिर भी, भारत में इस कैंसर के कारण होने वाली मृत्यु दर और मामले चिंताजनक रूप से अधिक हैं। इसे भारत में महिलाओं में होने वाले कैंसर में दूसरा सबसे आम कैंसर माना जाता है और हर साल लाखों नए मामले सामने आते हैं। यह लापरवाही कई कारणों से होती है। जागरूकता की कमी, सामाजिक वर्जनाएं, जांच केंद्रों तक पहुंच का अभाव, और स्वास्थ्य सुविधाओं का महंगा होना प्रमुख बाधाएं हैं। अक्सर महिलाएं अपने स्वास्थ्य को प्राथमिकता नहीं देतीं या फिर खुलकर इस विषय पर बात करने से हिचकिचाती हैं।

इस कैंसर का मुख्य कारण ह्यूमन पेपिलोमा वायरस एचपीवी संक्रमण है। इसके अलावा, कम उम्र में शादी या गर्भधारण, एकाधिक यौन संबंध और खराब स्वच्छता भी इसके जोखिम को बढ़ाते हैं। शुरुआती दौर में इसके लक्षण अक्सर पता नहीं चलते। बाद के चरणों में असामान्य रक्तस्राव, श्रोणि में दर्द और दुर्गंधयुक्त स्राव जैसे लक्षण दिखाई दे सकते हैं।

इसलिए यह बेहद जरूरी है कि हर महिला अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक हो। एचपीवी टीका लगवाएं, नियमित पैप स्मीयर जांच करवाएं, और किसी भी संदिग्ध लक्षण को अनदेखा न करें। सरकार और समाज दोनों को मिलकर जागरूकता बढ़ाने और स्वास्थ्य सुविधाओं को सुलभ बनाने पर काम करना चाहिए ताकि भारत को गर्भाशय ग्रीवा कैंसर मुक्त बनाया जा सके। यह हम सभी की सामूहिक जिम्मेदारी है।

 

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