केंद्र सरकार ने दिवंगत पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की स्मृति में राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के राजघाट परिसर के अंदर एक विशेष स्थल को चिह्नित करने का निर्णय लिया है। यह जानकारी उनकी बेटी और लेखिका शर्मिष्ठा मुखर्जी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर साझा की।
शर्मिष्ठा ने लिखा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी से मिलकर बाबा के लिए स्मारक बनाने के उनके सरकार के फैसले पर गहरा आभार व्यक्त किया। यह और भी सराहनीय है क्योंकि हमने इसके लिए कोई अनुरोध नहीं किया था। प्रधानमंत्री का यह अप्रत्याशित भाव और कृतज्ञता अद्भुत है।”
उन्होंने अपनी पोस्ट के साथ प्रधानमंत्री से मुलाकात की तस्वीर और शहरी एवं आवास मंत्रालय की चिट्ठी भी साझा की। शर्मिष्ठा ने कहा, “बाबा हमेशा कहते थे कि सम्मान की मांग नहीं करनी चाहिए, वह स्वाभाविक रूप से दिया जाता है। प्रधानमंत्री मोदी ने बाबा की याद में जो किया, वह उनके प्रति उनके सम्मान को दर्शाता है।”
प्रणब मुखर्जी: एक गौरवशाली राजनीतिक सफर
प्रणब मुखर्जी ने जुलाई 2012 से जुलाई 2017 तक भारत के राष्ट्रपति के रूप में सेवा दी थी। 2019 में उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया। शर्मिष्ठा ने यह भी व्यक्त किया कि प्रणब मुखर्जी प्रशंसा और आलोचना से परे थे, लेकिन एक बेटी के रूप में उन्हें इस पहल से गहरा संतोष और खुशी है।
कांग्रेस पर सवाल
शर्मिष्ठा ने हाल ही में कांग्रेस पार्टी पर भी सवाल उठाए थे। उन्होंने कहा कि उनके पिता के निधन के बाद कांग्रेस कार्यसमिति (सीडब्ल्यूसी) ने न तो कोई बैठक बुलाई और न ही उनके सम्मान में कोई प्रस्ताव पारित किया। उन्होंने इसे “लापरवाही” करार दिया और कहा कि यह पार्टी के भीतर संस्थागत स्मृति के लोप को दर्शाता है।
उन्होंने इस पर नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा, “इतनी पुरानी पार्टी की परंपराओं को क्या भुला दिया गया है?” शर्मिष्ठा के इस बयान ने कांग्रेस पार्टी के भीतर गहरी चर्चा छेड़ दी है।
प्रधानमंत्री मोदी के इस कदम ने न केवल प्रणब मुखर्जी की स्मृति को संजोने की पहल की है, बल्कि उनके सम्मान को राष्ट्रीय स्तर पर एक नई ऊंचाई दी है।