गांधीनगर, 6 जुलाई (हि.स.)। केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शनिवार को गांधीनगर के महात्मा मंदिर में 102वें अंतरराष्ट्रीय सहकारिता दिवस पर आयोजित सहकार से समृद्धि कार्यक्रम में कहा कि सहकारी संस्थाओं को देश की अर्थव्यवस्था का मजबूत आधार स्तंभ बनाया जाएगा। इसके जरिए देश के करोड़ों गरीब लोगों के जीवन में सुविधाओं, समृद्धि और आत्मविश्वास स्थापित करने का काम किया जाएगा।
केन्द्रीय गृहमंत्री शाह ने कहा कि भारत में सहकार कोई नया विचार नहीं है। हमलोगों के पूर्वजों ने 125 साल पुराने इस विचार को अपनाया था। उन्होंने कहा कि सरदार पटेल, महात्मा गांधी, गाडगिल, वैकुंठ मेहता और त्रिभुवन दास पटेल जैसे महान विभूतियों ने इसकी शुरुआत की थी। आज सहकारी आंदोलन देश के विभिन्न क्षेत्रों में बड़ा योगदान दे रहा है। सहकारी क्षेत्र कृषि लोन में 20 फीसदी, खाद के वितरण में 35 फीसदी, उत्पादन में 21 फीसदी, चीनी उत्पादन में 31 फीसदी, गेहूं की खरीदी में 13 फीसदी, धान की खरीदी में 20 फीसदी योगदान दे रहा है। शाह ने कहा कि आगामी 5 साल में सहकारिता का इतना मजबूत पीलर खड़ा करना है जिससे आगामी 125 साल तक सभी गांवों और घरों तक सहकारिता का लाभ पहुंच सके। उन्होंने कहा कि सरकार शीघ्र ही राष्ट्रीय सहकारी नीति लाएगी।
दो नई योजनाएं लागू
शाह ने कहा कि मोदी सरकार सहकारी समितियों के माध्यम से दो नई योजनाएं लेकर आई है। इथेनॉल को बढ़ावा देने और मक्का उत्पादक किसानों की समृद्धि के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने व्यवस्था की है कि सरकार की दो बड़ी सहकारी समितियां किसानों द्वारा उत्पादित मक्का को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर ऑनलाइन खरीदेंगी और उससे इथेनॉल का उत्पादन करेंगी। उन्होंने कहा कि इससे न केवल किसान समृद्ध होंगे बल्कि पेट्रोल आयात कम करके देश के विदेशी मुद्रा भंडार को बढ़ाने में भी मदद मिलेगी। इसी तरह अब भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन महासंघ (नेफेड) और उपभोक्ता सहकारी संगठन भी 4 प्रकार की दालें 100 प्रतिशत एमएसपी पर खरीदेंगे। उन्होंने कहा, हमें सहकारी समितियों के बीच सहयोग को बढ़ावा देना चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि हम सहकारी क्षेत्र के सभी आर्थिक लेन-देन सहकारी क्षेत्र के भीतर ही करें तो हमें सहकारी क्षेत्र के बाहर से एक पैसा भी लाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
सहकारिता क्षेत्र की उपलब्धियां गिनाई
सहकारिता मंत्री ने राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) और देश भर के सभी राज्य सहकारी बैंकों से अनुरोध किया कि प्रत्येक प्राथमिक कृषि साख समिति (पैक्स) और अन्य सहकारी संस्थाएं अपना खाता जिला सहकारी बैंक या स्टेट को- ऑपरेटिव बैंक में खोले, जिससे न केवल सहकारी क्षेत्र मजबूत होगा बल्कि पूंजी और आत्मविश्वास भी बढ़ेगा। शाह ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के पिछले 10 साल के दौरान सहकारिता के क्षेत्र में किए गए उल्लेखनीय कार्यों का विवरण भी दिया। शाह ने कहा कि केंद्रीय सहकारिता मंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार ने तीन बहु-राज्य सहकारी संस्था- जैविक समिति, निर्यात समिति और बीज समिति का भी गठन किया है, जिससे किसानों के जीवन को समृद्ध बनाने का मार्ग प्रशस्त हुआ है। उन्होंने कहा कि सरकार जल्द ही राष्ट्रीय सहकारी नीति लाएगी।
शाह ने कहा कि देश में 1100 नए किसान उत्पादक संगठन(एफपीओ) बनाए गए हैं, 1 लाख से अधिक पैक्स ने नए बाइलॉज को स्वीकार कर लिया है और अब राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (एनसीडीसी) को 2,000 करोड़ रुपये का बांड जारी करने से यह संगठन अधिक सहकारी समितियों के कल्याण के लिए काम करने में सक्षम होगा। इसके साथ ही, शहरी सहकारी बैंकों को नई शाखाएँ खोलने का लक्ष्य मिला है, सहकारी बैंकों द्वारा दी जाने वाली व्यक्तिगत आवास ऋण सीमा दोगुनी कर दी गई है, आयकर लाभ और नकद निकासी सीमा दोनों बढ़ा दी गई हैं और प्रधानमंत्री मोदी ने कानून बनाकर सहकारी चीनी मिलों के लिए 15,000 करोड़ का आयकर देनदारी समाप्त किया है, जो आईटी देनदारी कई वर्षों से लंबित थी।
श्यामा प्रसाद मुखर्जी को दी श्रद्धांजलि
इससे पूर्व शाह ने कहा कि आज के ही दिन प्रधानमंत्री मोदी ने सहकारिता को स्वतंत्र मंत्रालय बनाया था। शाह ने कहा कि आज गुजरात सरकार ने महत्वपूर्ण निर्णय करते हुए नैनो-यूरिया और नैनो डीएपी पर 50 फीसदी सब्सिडी देने की घोषणा की है।
अमित शाह ने अपने संबोधन में कहा कि आज श्यामा प्रसाद मुखर्जी की जयंती है और हम बंगाल और कश्मीर को भारत का अभिन्न अंग बनाने के लिए उनके आभारी हैं। उन्होंने कहा कि यह डॉ. मुखर्जी ही थे जिन्होंने एक देश में दो कानून, दो प्रधान और दो झंडे के खिलाफ आंदोलन का नेतृत्व किया और इस उद्देश्य के लिए लड़ते हुए अपने जीवन का बलिदान दिया। आयोजन में मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल समेत सहकारिता क्षेत्र के अग्रणी और अधिकारी मौजूद रहे।