कहा जाता है कि छोटे बच्चे कच्ची मिट्टी की तरह होते हैं, जो अपने आसपास के माहौल से ढलते हैं। खासतौर पर छह साल तक की उम्र में बच्चों का मानसिक विकास तेजी से होता है, और वे बहुत सी नई चीजें और व्यवहार अपने आस-पास से सीखते हैं। इस दौरान, माता-पिता की जिम्मेदारी और बढ़ जाती है, क्योंकि बच्चों के मानसिक विकास पर उनके आस-पास का माहौल गहरा असर डालता है। आइए जानते हैं उन बातों के बारे में, जिन्हें माता-पिता को अपने 6 साल से कम उम्र के बच्चों के सामने नहीं करनी चाहिए, क्योंकि ये उनके दिमाग पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती हैं।
- फाइनेंशियल स्ट्रगल और इनकम की बातें न करें
बच्चों के सामने कभी भी अपने वित्तीय संघर्ष या आय के बारे में चर्चा नहीं करनी चाहिए। माता-पिता का मानना होता है कि बच्चे अभी छोटे हैं और शायद ये बातें समझ नहीं पाएंगे। हालांकि, बच्चे का दिमाग यह जरूर समझता है कि उनके माता-पिता परेशानी में हैं, जो उन्हें अनजाने में तनाव का शिकार बना सकता है। - एक-दूसरे पर चिल्लाने से बचें
घर में थोड़ी बहुत बहस होना सामान्य है, लेकिन माता-पिता के रूप में जिम्मेदारियों को समझना जरूरी है। तेज आवाज में चिल्लाना और एक-दूसरे को गाली देना बच्चे की मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर डाल सकता है। याद रखें, आपका बच्चा आपके व्यवहार से ही सीखता है। - गंभीर अपराध और काल्पनिक डरावनी बातें न करें
घरेलू बातचीत में शॉकिंग घटनाओं का जिक्र स्वाभाविक है, लेकिन छोटे बच्चों के सामने ऐसी बातें करने से बचना चाहिए। बच्चों को काल्पनिक भूत-प्रेत या डरावनी कहानियों से डराना उनकी मानसिकता पर बुरा असर डाल सकता है। - स्कूल और पढ़ाई के बारे में नकारात्मक बातें न करें
कभी-कभी माता-पिता मजाक में बच्चों के स्कूल या शिक्षकों के बारे में नकारात्मक बातें कर देते हैं। यह न केवल बच्चे के दृष्टिकोण को प्रभावित करता है, बल्कि उनकी पढ़ाई के प्रति भी लापरवाही का संकेत देता है। बच्चों के सामने हमेशा स्कूल और पढ़ाई को सम्मान दें। - लोगों की चुगली और बुराई न करें
बच्चे अपने माता-पिता के व्यवहार से बहुत कुछ सीखते हैं। यदि आप हमेशा दूसरों की बुराई करते हैं, तो बच्चे इसे सामान्य मान सकते हैं और दूसरों के प्रति नकारात्मक दृष्टिकोण विकसित कर सकते हैं। ऐसे में, यदि आपको किसी की बुराई करनी है, तो कम से कम बच्चे के सामने इसे न करें।
इन बातों का ध्यान रखते हुए, आप अपने बच्चों को एक सकारात्मक और स्वस्थ मानसिकता के साथ बढ़ने में मदद कर सकते हैं।