स्तनों को पकड़ना, पायजामा का निचला हिस्सा फाड़ना बलात्कार का प्रयास नहीं माना जाता: उच्च न्यायालय

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प्रयागराज: इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्रा द्वारा 2021 के एक नाबालिग लड़की से दुष्कर्म के प्रयास के पुराने मामले की सुनवाई के दौरान दिए गए फैसले ने पूरे देश में भारी हंगामा मचा दिया है। न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा कि पीड़िता के स्तनों को पकड़ने या उसके कपड़े उतारने की कोशिश को बलात्कार का अपराध नहीं कहा जा सकता। इसे निश्चित रूप से यौन उत्पीड़न कहा जा सकता है। इसके साथ ही न्यायाधीश ने आरोपियों के खिलाफ मामूली आरोपों में मुकदमा चलाने का निर्देश दिया, जिनमें सजा का प्रावधान बलात्कार के मामलों की तुलना में कम है।

इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति राम मनोहर मिश्रा की एकल पीठ ने 17 मार्च को नाबालिग से 2021 के बलात्कार मामले में कासगंज में पॉक्सो अदालत के विशेष न्यायाधीश के समन आदेश को संशोधित किया। इस आदेश के आधार पर हाईकोर्ट ने कासगंज जिले के तीन आरोपियों पवन, आकाश और अशोक को बड़ी राहत देते हुए निचली अदालत को उनके खिलाफ नया समन जारी करने का आदेश दिया। अशोक पवन के पिता हैं।  

आरोपी द्वारा दायर आपराधिक पुनरीक्षण याचिका को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा कि पोक्सो की धारा 18 के तहत जारी समन और बलात्कार के प्रयास का आरोप वैध नहीं है। उच्च न्यायालय ने निचली अदालत से समन में संशोधन करने और छेड़छाड़ तथा पोक्सो अधिनियम की अन्य धाराओं के तहत समन जारी करने को कहा था।

न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा कि उसके स्तनों को पकड़ना, उसके पायजामे का कमरबंद तोड़ना और उसे पुल के नीचे खींचने का प्रयास करना बलात्कार या बलात्कार के प्रयास का आरोप लगाने के लिए पर्याप्त कृत्य नहीं हैं। पाप के लिए तैयारी करने और वास्तव में उसका प्रयास करने में अंतर है। 

यह घटना उत्तर प्रदेश के कासगंज की है और मामला पटियाला पुलिस स्टेशन में दर्ज किया गया है। पीड़िता 11 साल की लड़की है। उसकी मां द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत के अनुसार, वह अपनी 11 वर्षीय बेटी के साथ जा रही थी, तभी पवन और आकाश नामक आरोपी कार में पहुंचे। मां-बेटी को देखकर उसने कार रोकी और उन्हें लिफ्ट देने की पेशकश की। इसके बाद उन्होंने पीड़िता के स्तनों को पकड़ लिया, उसके पायजामे का कमरबंद फाड़ दिया और उसे पुल के नीचे खींचने का प्रयास किया। लड़की चिल्लाने लगी और राहगीर उसे बचाने के लिए आ गए, जिससे दोनों आरोपी मौके से भाग गए। जब पीड़िता की मां ने पवन के पिता अशोक से शिकायत की तो उसने उसे धमकी दी। 

इस मामले में आरोपी आकाश, पवन और अशोक को शुरू में आईपीसी की धारा 376 और पोक्सो अधिनियम की धारा 18 के तहत ट्रायल कोर्ट द्वारा तलब किया गया था। आरोपियों ने इस समन को उच्च न्यायालय में चुनौती दी तथा उन पर नरम सजा लगाए जाने की मांग की।

न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्र की एकलपीठ ने कासगंज के विशेष न्यायाधीश पॉक्सो कोर्ट के 17 मार्च के समन आदेश को संशोधित कर दिया है। न्यायमूर्ति मिश्रा ने निर्देश दिया है कि आरोपी पर पोक्सो अधिनियम की धारा 9/10 (गंभीर यौन उत्पीड़न) और आईपीसी की धारा 354-बी (कपड़े उतारने के इरादे से हमला या आपराधिक बल का प्रयोग) के तहत मुकदमा चलाया जाए। चूंकि इन धाराओं के तहत बहुत कम सजाएं दी जाती हैं, इसलिए न्यायमूर्ति मिश्रा की मंशा पर संदेह व्यक्त किया जा रहा है।