दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा के आवास पर नोट मिलने का मामला गरमाया, न्यायपालिका पर उठे सवाल

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दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा के सरकारी आवास पर अधजली भारतीय मुद्रा मिलने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। इस घटना ने देश की न्यायिक प्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। इस मामले को लेकर मुख्य न्यायाधीश डीके उपाध्याय ने प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना को एक रिपोर्ट सौंपी है, जिसमें जस्टिस वर्मा के आवास में आग लगने और वहां से अधजली मुद्रा बरामद होने की बात कही गई है।

हालांकि, जस्टिस वर्मा ने इन आरोपों को पूरी तरह नकारते हुए कहा कि उन्हें या उनके परिवार को स्टोररूम में रखी नकदी के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह आरोप निराधार हैं और वह इसे पूरी तरह से खारिज करते हैं।

न्यायपालिका में भ्रष्टाचार के पुराने मामले

यह पहली बार नहीं है जब किसी उच्च न्यायालय के जज पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं। इससे पहले भी कई न्यायाधीशों पर गंभीर आरोप लग चुके हैं:

  1. जस्टिस एसएन शुक्ला (इलाहाबाद हाईकोर्ट)

    • 2019 में सीबीआई ने उनके खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया था।

    • उन पर लखनऊ के एक मेडिकल कॉलेज को अनुकूल आदेश देने के बदले आर्थिक लाभ लेने का आरोप था।

    • 2020 में सेवानिवृत्त हुए।

  2. जस्टिस निर्मल यादव (पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट)

    • 2008 में 15 लाख रुपये नकद का पार्सल गलती से जस्टिस निर्मलजीत कौर के घर पहुंचा।

    • बाद में दावा किया गया कि यह राशि जस्टिस निर्मल यादव के लिए थी।

    • मामला अभी भी लंबित है।

  3. जस्टिस शमित मुखर्जी (दिल्ली हाईकोर्ट)

    • 2003 में करोड़ों रुपये के भूमि घोटाले में सीबीआई ने गिरफ्तार किया था।

    • एक रेस्टोरेंट मालिक के पक्ष में फैसले के बदले रिश्वत लेने का आरोप लगा।

  4. जस्टिस सौमित्रा सेन (कलकत्ता हाईकोर्ट)

    • 1993 में बतौर रिसीवर 32 लाख रुपये के गबन का आरोप लगा।

    • 2011 में राज्यसभा में महाभियोग प्रस्ताव पारित होने के बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया।

  5. जस्टिस पीडी दिनाकरन (सिक्किम हाईकोर्ट)

    • अवैध रूप से संपत्ति अर्जित करने और न्यायिक कदाचार के आरोप लगे।

    • 2011 में महाभियोग की संभावना के चलते इस्तीफा दे दिया।

भ्रष्टाचार के आरोपों से न्यायपालिका की छवि पर असर

इस तरह के मामलों से न्यायपालिका की निष्पक्षता पर प्रश्नचिह्न लगते हैं। दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा के सरकारी आवास पर अधजली नकदी मिलने की घटना के बाद यह बहस फिर तेज हो गई है कि क्या न्यायपालिका में जवाबदेही को और सख्त किया जाना चाहिए।