Capital Gains Tax Save: प्रॉपर्टी पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स बचा सकते हैं आप, जानिए तरीका

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पिछले महीने पेश किए गए केंद्रीय बजट के बाद कैपिटल गेन्स टैक्स पर चर्चा बढ़ गई है। रियल एस्टेट, सोना और शेयरों में निवेश पर होने वाले लाभ पर टैक्स देना होता है। इसे कैपिटल गेन्स टैक्स कहते हैं। इस टैक्स की गणना के लिए कई तरह के फॉर्मूले हैं। कुछ मामलों में करदाताओं को इस टैक्स पर छूट मिलती है। इनमें कैपिटल गेन्स अकाउंट स्कीम (CGAS) भी शामिल है। यह अकाउंट कैपिटल गेन्स पर टैक्स बचाने के लिए खोला जाता है।

टैक्स बचाने का नियम क्या है?

आयकर नियम कहते हैं कि अगर कोई करदाता रियल एस्टेट या सोना बेचने पर हुए कैपिटल गेन्स पर टैक्स-सेविंग करना चाहता है, तो उसे तय समय के अंदर तय विकल्पों में इसे फिर से निवेश करना होगा। इसके लिए यह खास खाता खोलना होगा। कई करदाताओं को इसके बारे में ठीक से पता नहीं होता। इस खाते के बारे में जानने से करदाताओं को कैपिटल गेन्स टैक्स बचाने में मदद मिलेगी।

सीजीएएस की शुरुआत कब हुई?

सरकार ने इस खाते की शुरुआत सबसे पहले 1988 में की थी। आपको यह खाता तभी खोलना होगा जब आप कैपिटल गेन के पैसे को फिर से निवेश करना चाहते हैं। अगर आप कैपिटल गेन के पैसे को इस खाते में जमा करते हैं तो इस पर कोई टैक्स नहीं लगेगा। अगर आप इस पैसे को फिर से निवेश नहीं करते या इस खाते में जमा नहीं करते तो इस पर टैक्स देना होगा।

यह किस अनुभाग में प्रदान किया गया है?

आयकर की धारा 54, 54बी, 54डी, 54एफ, 54जी और 54जीए में पूंजीगत लाभ पर कर बचत के प्रावधानों का उल्लेख किया गया है। इसमें कहा गया है कि पूंजीगत लाभ के पैसे पर कर छूट तभी मिलेगी जब इस पैसे को फिर से निवेश किया जाए। यह निवेश तय सीमा के भीतर ही करना होगा। अगर आप इस मामले में समय सीमा का पालन नहीं करते हैं तो आपको भारी नुकसान हो सकता है। यह ध्यान रखना जरूरी है कि इस खाते में 1 करोड़ रुपये से ज्यादा जमा नहीं किया जा सकता।

सीजीएएस कहां खोलें?

CGAS अकाउंट SBI समेत किसी भी बैंक में खोला जा सकता है। खाते में कैपिटल गेन का पैसा चेक, कैश या DD के ज़रिए जमा किया जा सकता है। बैंक दो तरह के खाते खोलते हैं। पहला, टाइप A अकाउंट को सेविंग अकाउंट माना जाता है। इसमें सेविंग अकाउंट जितना ही ब्याज मिलता है। टाइप B अकाउंट FD की तरह काम करता है। इसमें FD जितना ही ब्याज मिलता है। इसका लॉक-इन पीरियड अधिकतम 3 साल हो सकता है।