कलकत्ता हाईकोर्ट ने सीएपीएफ कांस्टेबल भर्ती में याचिका खारिज की, कहा- शारीरिक मानकों में छूट संभव नहीं

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कलकत्ता हाईकोर्ट ने केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) में कांस्टेबल के तौर पर चयन के लिए दायर याचिका खारिज कर दी है। याचिकाकर्ता की लंबाई पात्रता शर्तों में मांगी गई न्यूनतम लंबाई से कम पाई गई थी। अदालत ने स्पष्ट किया कि शारीरिक मानक परीक्षा (पीएसटी) के परिणामों में हस्तक्षेप की गुंजाइश बेहद सीमित है और इसे बहुत सावधानी से लागू किया जाना चाहिए।

अदालत का फैसला

न्यायमूर्ति अरिंदम मुखर्जी ने याचिका खारिज करते हुए कहा:

  • पीएसटी परिणाम:
    • याचिकाकर्ता पीएसटी और रिव्यू एग्जामिनेशन दोनों में लंबाई संबंधी योग्यताओं को पूरा करने में असफल रहा।
  • दखल की सीमाएं:
    • पीएसटी के परिणामों में हस्तक्षेप का कोई कारण नहीं दिखता।
    • इस प्रकार का दखल केवल विशेष परिस्थितियों में ही किया जा सकता है।

याचिका का विवरण

याचिकाकर्ता हारुन मिया ने 2024 की भर्ती परीक्षा के तहत सीएपीएफ, एसएसएफ, और असम राइफल्स में राइफलमैन पद के लिए आवेदन किया था।

  • पात्रता:
    • न्यूनतम लंबाई: 170 सेमी।
    • याचिकाकर्ता की लंबाई: 169.4 सेमी।
  • दावा:
    • याचिकाकर्ता ने 2015 में प्रकाशित दिशा-निर्देशों का हवाला देते हुए कहा कि 0.5 सेमी की छूट मिलनी चाहिए।
    • उन्होंने छूट के बाद अगले चरण शारीरिक दक्षता परीक्षा (पीईटी) में भेजे जाने की मांग की।

सरकार का पक्ष

केंद्र सरकार के वकीलों ने याचिका का विरोध करते हुए कहा:

  1. 2015 के दिशा-निर्देशों की सीमा:
    • 0.5 सेमी की छूट केवल मेडिकल जांच (BMI) के चरण के लिए लागू होती है, न कि पीएसटी में।
  2. विशेष श्रेणियों के लिए छूट:
    • छूट केवल अनुसूचित जनजातियों (एसटी) या अन्य विशिष्ट श्रेणियों के लिए है।
  3. विवाद का खतरा:
    • यदि ऐसे मामलों में छूट दी जाती है, तो यह पूरी चयन प्रक्रिया को अप्रासंगिक बना सकती है।

अदालत की टिप्पणी

अदालत ने कहा:

  • छूट की स्थिति:
    • 0.5 सेमी की छूट पर विचार करने के बावजूद, याचिकाकर्ता की लंबाई पात्रता से कम है।
  • स्पष्ट दिशानिर्देश:
    • बीएमआई और लंबाई के लिए छूट अलग-अलग चरणों के लिए स्पष्ट रूप से परिभाषित है।
  • समानता:
    • विशेषज्ञ भर्ती संस्थाओं द्वारा तय मापदंडों में छूट देने से चयन प्रणाली पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।