नई दिल्ली, 25 नवंबर (हि.स.)। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सोमवार को भारतीय रेलवे में तीन मल्टीट्रैकिंग परियोजनाओं को मंजूरी दी है। तीनों परियोजनाओं की लागत 7,927 करोड़ रुपये (लगभग) है और इन्हें चार वर्षों में पूरा किया जाएगा। तीन राज्यों- महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के सात जिलों को कवर करने वाली तीन परियोजनाएं भारतीय रेलवे के मौजूदा नेटवर्क को लगभग 639 किलोमीटर तक बढ़ा देंगी। क्षमता वृद्धि कार्यों के परिणामस्वरूप 51 एमटीपीए (मिलियन टन प्रति वर्ष) की अतिरिक्त माल ढुलाई होगी।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने आज रेल मंत्रालय की तीन परियोजनाओं को मंजूरी दी है।
केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने प्रेस वार्ता कर इसकी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि ये परियोजनाएं हैं: जलगांव-मनमाड चौथी लाइन (160 किमी), भुसावल-खंडवा तीसरी और चौथी लाइन (131 किमी) और प्रयागराज (इरदतगंज)-मानिकपुर तीसरी लाइन (84 किमी)।
उन्होंने कहा कि प्रस्तावित मल्टी-ट्रैकिंग परियोजनाओं से परिचालन आसान होगा और भीड़भाड़ कम होगी, जिससे मुंबई और प्रयागराज के बीच सबसे व्यस्ततम खंडों पर आवश्यक बुनियादी ढांचागत विकास होगा।
यह परियोजनाएं दो आकांक्षी जिलों (खंडवा और चित्रकूट) से कनेक्टिविटी बढ़ाएंगी। इससे लगभग 1,319 गांवों और लगभग 38 लाख आबादी को सुविधा मिलेगी।
प्रस्तावित परियोजनाएं अतिरिक्त यात्री ट्रेनों के संचालन को सक्षम करके मुंबई-प्रयागराज-वाराणसी मार्ग पर कनेक्टिविटी बढ़ाएंगी, जिससे नासिक (त्र्यंबकेश्वर), खंडवा (ओंकारेश्वर) और वाराणसी (काशी विश्वनाथ) में ज्योतिर्लिंगों के साथ-साथ प्रयागराज, चित्रकूट, गया और शिरडी में धार्मिक स्थलों की यात्रा करने वाले तीर्थयात्रियों को लाभ होगा।
इसके अतिरिक्त, ये परियोजनाएं खजुराहो यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल, अजंता और एलोरा गुफाएं यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल, देवगिरी किला, असीरगढ़ किला, रीवा किला, यावल वन्यजीव अभयारण्य, केओटी फॉल्स और पुरवा फॉल्स आदि जैसे विभिन्न आकर्षणों तक बेहतर पहुंच के माध्यम से पर्यटन को बढ़ावा देंगी।
ये कृषि उत्पादों, उर्वरक, कोयला, स्टील, सीमेंट, कंटेनर आदि जैसी वस्तुओं के परिवहन के लिए आवश्यक मार्ग हैं। रेलवे पर्यावरण के अनुकूल और ऊर्जा कुशल परिवहन का साधन है, जो जलवायु लक्ष्यों को प्राप्त करने और देश की रसद लागत को कम करने, सीओ2 उत्सर्जन (271 करोड़ किलोग्राम) को कम करने में मदद करेगा जो 11 करोड़ पेड़ लगाने के बराबर है।