आजकल सिजेरियन ऑपरेशन (C-सेक्शन) से डिलीवरी करवाने का चलन तेजी से बढ़ रहा है। कुछ महिलाएं स्वास्थ्य समस्याओं के कारण C-सेक्शन का विकल्प चुनती हैं, जबकि कुछ लेबर पेन से बचने के लिए इसे प्राथमिकता देती हैं। हालांकि, इस बढ़ते चलन के पीछे कई सामाजिक, आर्थिक और जागरूकता से जुड़े कारण हैं। आइए विस्तार से समझते हैं कि C-सेक्शन डिलीवरी क्या है, क्यों अमीर वर्ग इसका अधिक इस्तेमाल कर रहा है, और इसके बढ़ते प्रभावों पर एक नज़र डालते हैं।
C-सेक्शन डिलीवरी क्या है?
C-सेक्शन डिलीवरी एक सर्जिकल प्रक्रिया है जिसमें मां के पेट और गर्भाशय में चीरा लगाकर शिशु को बाहर निकाला जाता है। यदि यह प्रक्रिया सही मेडिकल गाइडलाइंस के अनुसार की जाए, तो मां और बच्चे दोनों सुरक्षित रहते हैं। लेकिन अगर इसमें लापरवाही बरती जाए, तो यह मां और नवजात की सेहत के लिए हानिकारक साबित हो सकती है। साथ ही, C-सेक्शन में खर्च भी अधिक होता है, जो इसे आर्थिक रूप से चुनौतीपूर्ण बनाता है।
C-सेक्शन का बढ़ता चलन: अमीर महिलाओं की पसंद
रिसर्च के नतीजे
हाल ही में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, अमीर महिलाएं C-सेक्शन डिलीवरी का अधिक सहारा ले रही हैं। यह रिपोर्ट लैंसेट रीजनल हेल्थ-साउथईस्ट एशिया में प्रकाशित हुई है और नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 (2019-21) के डेटा पर आधारित है।
आंकड़ों की झलक
- गरीब वर्ग: केवल 6% महिलाओं ने सरकारी अस्पतालों में C-सेक्शन करवाया।
- मिडिल क्लास: लगभग 18% मिडिल क्लास महिलाओं ने C-सेक्शन डिलीवरी कराई।
- अमीर वर्ग: करीब 21% अमीर और 25% उच्च वर्ग की महिलाओं ने C-सेक्शन को प्राथमिकता दी।
यह आंकड़े स्पष्ट रूप से दिखाते हैं कि आर्थिक स्थिति के अनुसार C-सेक्शन की दर में अंतर है।
गरीब वर्ग में C-सेक्शन की कम दर: जागरूकता की कमी
मुख्य कारण
- जानकारी का अभाव: गरीब वर्ग में सरकारी योजनाओं और मुफ्त C-सेक्शन की सुविधाओं की जानकारी कम है।
- सुविधा तक पहुंच में बाधा: कई बार महिलाएं समय पर उन अस्पतालों या केंद्रों तक नहीं पहुंच पातीं, जहां C-सेक्शन की सुविधा होती है।
- आर्थिक समस्याएं: यात्रा, ठहरने और अन्य खर्चे के लिए उनके पास पर्याप्त साधन नहीं होते।
- संकोच और परंपरागत विश्वास: कई गरीब परिवार पारंपरिक नॉर्मल डिलीवरी को ही सुरक्षित मानते हैं।
भूगोल के अनुसार अंतर
- दक्षिणी राज्य: केरल, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में 60% तक डिलीवरी C-सेक्शन से होती है।
- उत्तरी और पूर्वी राज्य: बिहार, असम और छत्तीसगढ़ में C-सेक्शन डिलीवरी की दर बेहद कम है।
C-सेक्शन डिलीवरी में बढ़ोतरी: रिसर्च के निष्कर्ष
IIT-मद्रास का अध्ययन
IIT-मद्रास के शोध के अनुसार, 2016 से 2021 के बीच C-सेक्शन डिलीवरी में तेज बढ़ोतरी हुई है।
- 2016: पूरे भारत में C-सेक्शन की दर 17% थी।
- 2021: यह बढ़कर 21.5% हो गई।
- प्राइवेट अस्पताल: 2016 में 43% और 2021 में यह बढ़कर 50% तक हो गया। यानी हर दो में से एक डिलीवरी C-सेक्शन के माध्यम से हो रही है।
शहरी और शिक्षित महिलाओं में प्रवृत्ति
शहरी क्षेत्रों में, जहां महिलाएं अधिक शिक्षित और जागरूक हैं, वे C-सेक्शन को प्राथमिकता दे रही हैं। इसका एक कारण यह भी है कि सुविधाओं तक उनकी पहुंच बेहतर होती है और वे लेबर पेन से बचना चाहती हैं।
C-सेक्शन के फायदे और नुकसान
फायदे:
- आपातकालीन स्थिति में जीवनरक्षक: जटिल प्रसव में C-सेक्शन मां और शिशु की जान बचा सकता है।
- कम दर्द: लेबर पेन से बचने का एक विकल्प।
- पूर्व नियोजित: डिलीवरी की तारीख और समय को पहले से तय किया जा सकता है।
नुकसान:
- लंबा रिकवरी पीरियड: नॉर्मल डिलीवरी की तुलना में रिकवरी में अधिक समय लगता है।
- संक्रमण का खतरा: सर्जरी के कारण इंफेक्शन का खतरा बढ़ सकता है।
- भविष्य की प्रेग्नेंसी में जटिलता: बार-बार C-सेक्शन से अगली गर्भावस्था में जोखिम बढ़ सकता है।